उत्तर प्रदेश में ८ फरवरी से ३ मार्च को होने वाली चुनाव का परिणाम भले ही ६ मार्च को आए,पर उत्तर परदेश की जनता इसका परिणाम जानती है,देखना तो यह है की जीत का मुद्दा क्या होता है विकास या आरक्षण
किसका पल्रा भारी पड़ता है जनता का या नेताओ का ? एक तरफ उत्तर प्रदेश में अपना झंडा गारने के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने महिला कार्ड खेल दिया है जिसमे ये कहा गया है की अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो बलात्कार की शिकार लड़की को सरकारी नौकरी दी जाएगी इससे ये तो जाहिर होता ही है की मुलायम सिंह ने इस बार उत्तर प्रदेश को महिलाओ को चुनाव के खेल में जीत के लिए लुभाने की कोशिश की है,वही दूसरी तरफ भाजपा ने पिछरे जाती के लोगो को २७ फीसदी आरक्षण में से ४.५ फीसदी मुसलमानों को नहीं देने के हित में है अगर भाजपा सत्ता में आती है तो वो इस इसे खत्म कर देगी वही दूसरी ओर गरीब सवर्णों को लुभाने के लिए पार्टी ने उन्हें भी आरक्षण देने का वादा किया है,ओर साथ ही साथ अयोध्या में फिर से राम मंदिर बनाने का वादा किया । ये तो साफ़ नज़र आ ही गया की उत्तर प्रदेश में चुनाव धर्म के आधार पे भी हो रही है भाजपा का ये अयोध्या में राम मंदिर बनाने वाली बात सायेद उत्तर प्रदेश की सत्ता से उसे दूर कर सकता है ।
वही कानपुर में राहुल ने जातिगत सियासत की शुरुआत की। पिछड़ा वर्ग को लुभाने के लिए उन्होंने सैम पित्रोदा का नाम लिया था।अब सैम पित्रोदा राहुल के लिए ओबीसी वोटों की फसल काटने के मिशन पर जुटे हैं,सैम पित्रोदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार हैं। पूर्व पीएम राजीव गांधी के करीबी रहे सैम पित्रोदा देश में कंप्यूटर क्रांति के महारथी माने जाते हैं। चुपचाप काम करना और सुर्खियों से दूर रहना पित्रोदा की खासियत रही है लेकिन इन दिनों पित्रोदा अपनी इससे भी बड़ी पहचान कायम करने में जुटे हैं। वो यूपी में घूम-घूमकर कह रहे हैं कि मैं एक बढ़ई का बेटा हूं और मुझे इस पर गर्व है।
इन सभी पार्टियों में से यह तो किसी ने नहीं सोचा की प्रदेश की जनता क्या चाहती है आरक्षण या विकास ,धर्म या रोजगार ,देश का सबसे बड़ा प्रदेश में सिर्फ प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विकास देखा गया है यह बात वहा
की जनता भी जानती है ५ सालो में प्रदेश में राज कर रही बहन मायावती की सरकार सिर्फ लखनऊ पे ज्यादा ध्यान दिया भले ही उन्होंने लखनऊ की जनता का दिल जीता हो पर अभी भी प्रदेश के कई जनता बहन जी से नाराज़ है । पूर्वांचल का लेबर शहर कहलाना वाले गोरखपुर अभी भी विकास से कोसो दूर है ना
मेडिकल की सुविधा,नोर्थ रेलवे का मुख्यालय होने पर भी कोइ विकास नहीं,यह बात वहा के संसद भी जानते है ,हिन्दू का पवित्र स्थान बनारस सफाई न होने के कारण अपवित्र है ऐसे कई शहर है जहा अभी भी विकास की काफी कमी है ।
उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ा सवाल तो यही है क्यूँ अब तक किसी भी पार्टी ने यहाँ विकास नहीं लाया,क्यूँ यहाँ पे औद्योगिक विकास नहीं हो पा रहा क्यूँ अभी भी यहाँ की जनता रोजगार के लिए महानगरो की ओर बढ़ रहा है।
सपा ,बी एस पी.,भाजपा,कांग्रेस चाहे कितनी भी दम लगाये जीत का डंका तो वही बजाएगा जो जनता की इन सवालो का जवाब देगा और उत्तर प्रदेश को एक नई विकशित प्रदेश बनाने की पुरी कोशिश करेगा ।