भारत में आंदोलोनो का इतिहस रहा है जब जनशैलाब सडको पर उतरी है कुछ बड़ा बदलाव हुआ ही है । जे पी आन्दोलन सभी को याद होना चाहिए जिसने जनता के अधिकार के लिए सत्ता पार्टी जन विचारो को झकझोर दिया था और एक अमुल चुल बदलाव आया था। अन्ना आंदोलोन को इस नज़रिये से देखना कोई गलत नहीं होगा,लेकिन ये जन आन्दोलन के लिए था जो की बाद में जाकर भ्रष्टाचारो के मुद्दे को भी आगे लेकर बढ़ी। इसी आंदोलोन के दौरान सत्ताधारियों का भी कहना था की अगर हम जन लोकपाल बिल पास करने में असफल है तो क्यूँ न टीम अन्ना अपनी सर्कार बना के इस बिल को पास कराए। यह एक हास्यपद विचार है जो जनता को कहती है की अगर कुछ संसोधन करना हो या विचारो को लागु करवाना हो तो सड़क पर मत उतरो बल्कि राजनीती में आओ।इस तरह के विचारो और बयानों से हम अंदाज़ा लगा सकते है की इन राजनीतिक पार्टियों की विचारधारा कैसी हो सकती है ।
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों रास्ट्रीय स्तर की पार्टिया आज हासिये पर नज़र आती है संप्रग सरकार कांग्रेस आज हर स्तर पर जनता की कमर तोड़ राखी है । आज स्थिति किसी की भी अच्छी नहीं है चाहे वो निम्न परिवार हो मध्य या फिर उच्च वर्ग का महंगाई डाइन सबको खाए जा रही है । भला जनता के पास भी कोई विकल्प नहीं है जब कांग्रेस कुछ उम्मीद की आस इनके बाच जगाये तो जनता इन्हें सत्ते में ले आती है और अगर कांग्रेस असफल रह गई तो बाज़ी भाजपा मर लेती है । दोनों पार्टियों की राजनीती बिलकुल एक ही समान है पहले जनता को लूटो और जब समय चुनाव का आए तो जनता को खाद सुरक्षा बिल जैसे लुभाने वाली प्रोग्राम परोश कर अपनी तरफ खीच लेती है । अन्ना ने तो तीसरे मोर्चे का एलान कर दी । अब सवाल ये है की क्या टीम अन्ना ,भाजपा ,कांग्रेस जैसे विकल्प तो नहीं पेश करेगी ? क्या टीम अन्ना जनता के उमीदो पे खड़े हो पायेगी ?
अन्ना ने जनता का विचार लेकर राजनैतिक विकल्प देने का एलान किया जहा तक सवाल जनता का विचारो का है तो इतने कम समय में ये नामुमकिन सा लगता है। अन्ना ने ये बात भी कही थी अगले डेड सालो तक देश में घुमेंगे और लोगो को जागरूक करेंगे । अन्ना का राजनीतिक विकल्प देना तब कामयाब साबित होगा जब अन्ना गाँव गाँव तक लोगो को जागरूक करने में समर्थ होंगे और वो इस अभियान में काफी हद तक सफल भी रहे है । इसका उदाहरण है अनशन के पहले ही दिन किसानो का मौजुद होना ।
बात जहा तक जन लोकपाल की है तो अब ये और भी मुश्किल हो गया है क्यूंकि अन्ना द्वारा राजनीतिक पार्टी का विकल्प देना एक तरह से उनके टीम का राजनीतिक ज़मीन पर उतरना है और ये सत्तारुद दल शुरू दल शुरू से चाहती थी । राजनीतिक विकल्प के लिए हामी भरना कांग्रेस काफी फायदेमंद साबित होगा क्यूँकी जन लोकपाल के लिए जो आन्दोलन उन पर बार बार प्रहार कर रही थी अब वो समाफ्त हो चुकी है और राजनीतिक रूप में बदलने जा रही है ।
अब तो बस देखना ये है की क्या टीम अन्ना एक भ्रष्ट मुक्त उम्मीदवार जनता के बीच ला पाएंगे ? क्या कमल और पंजे पे टीम अन्ना की राजनीती भाड़ी पड़ेगी ?