मेरी मधुशाला
घर से निकल जब मैं आया राह पे
सोचा न था कहा है जाना
जब चले मेरे कदम एक राह पे
उस राह में था एक मधुशाला ।।
बैठा मैं एक जगह पे
आया मेरे हाथो में प्याला
मदहोश कर गई मुझे वो हाला
भा गई मुझे वो मधुशाला ।।
दूर हुआ वो दुःख मेरे जीवन का
भूल गया वो बीता कल
जब अन्दर गई वो हाला
भा गई मुझे मधुशाला ।।
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