दिल की बातें क्यूँ बताते थे तुम्हे ,
इतना प्यार क्यूँ करते थे तुम्हे ।।
दो पल साथ रहती थी तुम,
एक अलग सी ख़ुशी मिल जाती थी हमे ।।
कैसे समझ जाती थी मेरी ज़ज्बातों को,
कैसे जान जाती थी मेरी दिल की बातो को ।।
रहते थे जब अकेले तन्हा कभी ,
क्यूँ मन में आता था तेरा ही ख्याल ।।
तुम्हे भूल ने के बाद भी
दिल में तेरी ही छवी है ।।
कभी सोचता हूँ तेरी ओर बढ़ाने को कदम,
पर थम जाते है कुछ सोच कर . . . ।।
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