Saturday, April 4, 2015

हर रंग कुछ कहता है...



होली के दिन कोई कपड़े पर रंग डाल जाता हैतो दिल दुखता है. जबकि दिल को खुश होना चाहिए कि किसी ने रंग डालने योग्य तो माना.   - ओशो

 
रंग हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं. रंगों के माध्यम से ही हम अपने भावों कोदुनिया की रंगीनीयत कोइस कायनात और उसमें बिखरे कलर को देखसमझ पाते हैं. इन्हीं के चलते हमें प्रकृति की हरियालीसूरज की सुनहरी रोशनीआसमान का नीलापन,बादलों की काली घटाएं और चंद्रमा का उजलापन अपनी मूल रंगत में दिखता है. इन्हीं से बादलों में खिंची सात रंगों की इंद्रधनुषी रेखाउसमें खिले हर रंग की ऐसी सुंदर कहानी बयां करती हैजिसे देखकर मन खुद रंगीन हो उठता है. पर प्रकृति में बिखरे ये रंग हमारी जिंदगी में 'कलरके रूप में तभी चढ़ते हैं जब हम इनकी पहचान करखुद को इनसे जोड़ पाते हैं.


रंग क्या हैं
रंग  दुनिया को कलरफुल बनाते हैं. संसार की हर चीज में रंग है. पानीहवाअंतरिक्ष और पूरा जगत ही अपनी एक रंगत लिए हुए है. फर्क सिर्फ इतना है कि इस रंग की पहचान हम कितना और कैसे कर पाते हैं. अब सफेद रंग को ही ले लेंतो कई लोग कहते हैं कि सफेद कोई रंग नहीं होता. इसी बात को दूसरे शब्दों में कहेंतो कह सकते हैं कि अगर कोई रंग नहीं हैतो वह सफेद है. लेकिन सच तो यह है कि सफेद रंग में सभी रंग शामिल हैं. क्योंकि सफेद को आप जिस किसी भी रंग में ढालोवह उसी रंग का हो जाएगा. हम कह सकते हैंरंग वही नहीं हैजो दिखता हैबल्कि वह भी रंग ही हैजो बदलता हैअपने अस्तित्व को छोड़ खुद को दूसरे रंग में ढाल लेता है. सफेद रंग आंखों को ठंडक देता है और खुद को शांत रहने के लिए भी प्रेरित करता है. 
  अगर हम गौर करेंतो दुनिया के रंगमंच पर हर इनसान किसी न किसी रंग की शरण लिए हुए हैऔर उसी के हिसाब से सबकी अलग-अलग भूमिकाएं हैं. साधु-संन्‍यासी भगवा रंग मेंसमाज सेवी सफेद रंग में,  सुनहरे परदे पर अभिनय कर रहे हीरो-हीरोइन रंग-बिरंगे कपड़ों में इसी लिए नजर आते हैं कि सभी ने खुद को किसी न किसी एक रंग में रंग लिया हैपर क्या हमने खुद को किसी रंग के हवाले कियाशायद नहीं...  इसलिए इस बार रंगों के त्यौहार होली पर दूसरों को रंगने से पहले जान लें कि रंग कहते क्या हैंफिर इन्हीं रंगों के हिसाब से खुद को किसी एक रंग में ढालें जरूर. उससे पहले जानें क्या कहता है होली का हर एक रंग. 

लाल: लाल रंग प्यार का रंग है. यह रंग हम में उत्साह और साहस का भाव पैदा करता है. खुद को लाल रंग में ढालें यानी खुद को प्यार के रंग में ढालें. आपके अन्दर इतना प्यार हो कि आपको देख दूसरों को प्यार आए. आप इतने उत्साह से भरे हों कि अगर आपको देख उनके दिन की शुरुआत होतो उनका दिन जोशउत्साह और उल्लास के साथ बीते. इस होली ईर्ष्या को छोड़ प्यार से रहें.

हरा: आज की भागमभाग वाली जिंदगी में सुकून और ताजगी पहुंचाने वाला रंग है हरा. सुबह की ठंडक में जब हम अपने आसपास की हरियाली को देखते हैंतो हमारी आंखों को सुकून मिलता है. शीतलताताजगी लाने वाले हरे रंग में सराबोर होने के बाद अगर हम महसूस कर सकें तो नई ताकत का एहसास होगासोच सकारात्मक होगी. खुद को इस रंग में ढाल कर के देखें ताकि जब लोग आपको देखें तो उन की आंखों को सुकून मिलेउनके मन से आपके लिए सिर्फ सकारात्मक सोच ही बाहर आए.

नीला: नीला रंग सबको समाहित करके चलने का रंग है. अपने आसपास नजर डालेंतो पाएंगे कि संसार में हर वह चीज जो विशाल हैउसका रंग आमतौर पर नीला हैचाहे आकाश हो या समंदर. ओशो कहते हैं कि नीला रंग आध्यात्मिक रंगों में से एक है,  क्योंकि वह शांति और मौन का रंग है. वह स्थिरताविश्राम और लीन होने का रंग है. जब भी आप गहन शांति में होते हैंतब आप अपने अंदर एक नीली ज्योति महसूस करेंगे और यदि आप अपने भीतर नीली ज्योति का भाव महसूस करेंगे,तो आप एकदम शांत होंगे. यह रंग दोनों तरह से काम करता है. यह रंग मौन का रंग है.

पीला: पीला रंग पवित्रता का एहसास कराता है. यही वजह है कि हर धार्मिक कार्य में इसका इस्तेमाल किया जाता है. यह काफी शुभ रंग माना जाता है. पीला रंग मिलन और आत्मीयता का प्रतीक है. इस रंग की तरह खुद को मिलनसार बनाएंखुद को बांध कर न रखें. मन को पवित्र रखें. ताकि लोगों के बीच रह कर आप खुद की और ओरों की सोच को सकारात्मक बना रहने देंन कि नकारात्मक.

गेरुआः इस रंग को देख हमारे दिन की शुरुआत होती है. सुबह-सुबह जब सूरज निकलता हैतो उसकी किरणों का रंग केसरिया होता हैजिसे भगवागेरुआ या नारंगी रंग भी कह सकते हैं. यही रंग है जो हमारे जीवन में एक नया सवेरा लाने को प्रेरित करता है. खुद को इस रंग में ढालें ताकि सूरज की पहली किरण के साथ आप खुद को और औरों के जीवन में भी एक नए सवेरा ला सकेंउन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकें.

काला: अगर आपके मन में काले रंग को लेकर कोई भी नकारात्मक सोच हैतो उसे पहले दिल से निकालें. एक बात जान लें कि प्रकृति के किसी भी रंग में निगेटिव एनर्जी नहीं होती. अगर ऐसा होता तो रात काली नहीं होती. प्रकृति कभी काले रंग को नहीं अपनाती. फिर लोग काले बालकाली आंखों से आकर्षित नहीं होतेऐसी न जाने कितनी वजहे हैं. तो सबसे पहले आप अपने मन से काले रंग को अशुभ न मानेंबल्कि इस रंग को शक्ति और ताकत मानें.

प्रकृति खुद को विभिन्‍न रंगों में अभिव्यक्‍त करती है और व्यक्‍ति प्रकृति के इन्हीं रंगों के माध्यम से अपनी संवेदनाओं,भावनाओं और पसंद को व्यक्‍त करता है. रंग अपनी ओजस्विता और प्रकाश के द्वारा मानव मस्तिष्क एवं शरीर को प्रभावित करते हैं. तो इस साल रंगों के त्यौहार में खुद को किसी एक रंग में ढाल के देखें.
  न्यू इंडिया हिन्दी मासिक पत्रिका के मार्च अंक में  स्पिरिचूअल पर मेरा एक लेख