Saturday, April 18, 2015

टूर एंड ट्रैवल्स घूमिए-घूमाइए कॅरियर बनाइए

घूमना-घूमाना हर किसी को पसंद होता है. बदलते वक़्त के साथ लोगों की दिलचस्पी घूमने की तरफ खासी बढ़ी है. चाहे घूमना अपने देश में हो या फिर अपने देश से बाहर. अगर आप घूमने-फिरनेलोगों से बातचीत करने और अलग-अलग जगहों की स्थिति को जानने का शौक रखते हैं, तो टूर एंड ट्रैवल्स में अपना कॅरियर बनाकर अपने भविष्य को एक नई दिशा दे सकते हैं.
देखा जाए तो भारत में टूर एंड ट्रैवल्स में कॅरियर की बहुत संभावनाएं हैं. एक तरफ जहां अरूणाचल प्रदेश का सन राइज हो या दक्षिण के विशाल समुद्र में सन सेट,  नेचर ने मानो दोनों हाथों से भारत पर सुंदरता की चमक बिखेर रखी है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस तरह से देश-दुनिया में ट्रैवल एवं टूरिज्म इंडस्ट्री की बढ़ोत्तरी हुई है, उसे देखते हुए लगता है कि 2019 तक यह इंडस्ट्री रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में दुनिया की सबसे बडी इंडस्ट्री बन जाएगी. विश्व पर्यटन संगठन की नई रिपोर्ट के मुताबिक,  साउथ एशिया से आने वाले कुल टूरिस्ट में से लगभग 50 प्रतिशत टूरिस्ट भारत आते हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस फील्ड में रोजगार की कितनी संभावनाएं हैं.
कहां-कहां है संभावनाएं
देश के हर राज्य का अपना एक टूरिज्म डिपार्टमेंट है, जहां आपको रोजगार मिल सकता है. साथ ही प्राइवेट कम्पनियां और मल्टीनेशनल कम्पनी भी इस फील्ड में बहुत सक्रिय हैं. ये कम्पनियां देश-विदेश में टूरिंग के तरह-तरह के ऑफर देती हैं. ये कम्पनियां और ट्रैवल एजेंट आपकी टूरिंग को बहुत आसान बना देते हैं. एक अच्छे ट्रैवल एजेंट की जॉब अपने क्लाइंट को सुविधाजनक सर्विस देना होता है. आप अपनी काबिलियत और शौक के हिसाब से या तो कोई टूर एंड ट्रैवल कंपनी ज्वाइन कर सकते हैं या फिर अपना खुद का बिज़नस भी शुरू कर सकते हैं. हर बड़े होटल का अपना टूरिज्म डिपार्टमेंट होता है, आपको वहां भी रोज़गार मिल सकता है. अगर आपको एडवेंचर पसंद है, तो आप ट्रैकिंग जैसे टूर्स भी समय- समय पर अरेंज कर पैसा कमा सकते हैंगाइड बनकर भी आप अपने कॅरियर को एक अच्छा विकल्प दे सकते हैं. 
टूरिज्म डिपॉर्टमेंट - रिजर्वेशन एंड काउंटर स्टाफ,  सेल्स एंड मार्केटिंग स्टाफ,  टूर प्लानर्स और टूर गाइड्‌स. ये वे जॉब हैं जो गवर्न्मेंट टूरिज्म डिपार्टमेंट की तरफ से ऑफर किए जाते हैं. ऑफिसर्स ग्रेड की नौकरी यूपीएससी या एसएससी की परीक्षा पास कर हासिल की जा सकती है.
टूरिस्ट गाइड - किसी भी देश की कम्यूनिटीकल्चर और रीत-रिवाज के बारे में टूरिस्ट को जानकारी देने के लिए टूरिस्ट गाइड की जरूरत होती है. टूरिस्ट गाइड टूरिस्टों के साथ रहकर उन्हें खास पर्यटन स्थल के जाने-अनजाने और अनछुए पहलुओं से रूबरू कराते हैं. देश में टूरिस्ट गाइड के लिए इंडियन टूरिस्ट एंड ट्रैवल डिपार्टमेंट से टूरिस्ट गाइड का लाइसेंस लेना होता है.
एयरलाइंस एंड होटल्स -  यह ट्रैवल एंड टूरिज्म का अहम हिस्सा है. अगर आपने टूरिज्म के साथ-साथ होटल मैनजमेंट का कोर्स भी किया है, तो इस क्षेत्र में आप आसानी से एंट्री ले सकते हैं.
टूर ऑपरेटर्स -  टूरिस्ट प्लेस में टूर ऑपरेटर्स टूर को लीड और मैनेज करने का काम करते हैं. टूरिस्ट गाइड का कोर्स करने के बाद टूर ऑपरेटर्स की नौकरी आसानी से मिल सकती है.
ट्रैवल एजेंसीज-  ट्रैवल एजेंट्स का काम होता है, कई सारे विकल्पों के बीच अपने कस्टमर को अच्छी सेवा दिलाना. एक अच्छे टूर का सुझाव और पूरे टूर को प्लान कर के देना. कस्टमर के साथ बेहतर डील करने वालों के लिए यह बेहतरीन जॉब है.
कोर्स डिटेल
 आप विभिन्न इंस्टिट्यूट से डिग्रीडिप्लोमापीजी डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं.
डिग्री कोर्स में- कई विश्वविद्यालय तीन साल का बैचलर ऑफ ट्रैवल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट और दो साल का मास्टर ऑफ ट्रैवल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट और एयर ट्रैवल फेयर एंड टिकटिंग का कोर्स कराते हैं.
वन इयर कोर्स- कई इंस्टिट्यूट एक साल का पीजी डिप्लोमा इन टूरिज्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंटएडवांस डिप्लोमा इन ट्रैवल एंड टूरिज्म मैनेजमेंटएयरलाइन टिकटिंगएयरलाइन ग्राउंड ऑपरेशंसग्राउंड सपोर्ट एंड एयरपोर्ट मैनेजमेंटगाइडिंग एंड स्कॉउटिंगकार्गो मैनेजमेंट,एयरपोर्ट लॉजिस्टिक मैनेजमेंट जैसे कोर्स कराते हैं.
डिप्लोमा कोर्स – बेसिक कोर्स इन एयरलाइन ट्रैवलफेयर्स एंड टिकटिंग मैनेजमेंट जैसे डिप्लोमा कोर्स भी किए जा सकते हैं. साथ ही तीन से छह महीने का कोई डिप्लोमा कोर्स करने के बाद किसी भी ट्रैवल एजेंसी में काम किया जा सकता है. बड़ी-बड़ी ट्रैवल एजेंसियां स्वयं ट्रेनिंग भी देती हैं और काबिलियत को देखते हुए को अपने यहां नौकरी का मौका भी देती हैं.
आप बारहवीं पास करने के बाद ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. पीजी डिप्लोमा कोर्स या पीजी लेवल के कोर्स के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है. इस कोर्स में किसी भी सब्जेक्ट के छात्र एडमिशन ले सकते हैं.
जरूरी स्किल्स
फील्ड चाहे जो भी हो मेहनत और अपने काम के साथ ईमानदारी बेहद ज़रूरी है. जितना बेहतर तरीके से आप अपने काम को जानेंगे, आपको आगे बढ़ने के उतने ही अवसर मिलेंगे. खासकर टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए अगर आप अपनी योग्यता के साथ ही कुछ नया सीखने में रूचि लेंगे, तो आप इस फील्ड में अपना अलग मुकाम ज़रूर बना पाएंगे.
         अंग्रेजी-हिन्दी के साथ विदेशी भाषाओं पर पकड़ बनाएं
         संस्कृति एवं रीति-रिवाजों से जु्ड़ाव रखेंहर कल्चर की जानकारी लेने की कोशिश करें
         क्राइसिस मैनेजमेंट को समझने की कोशिश करें
         एडवेंचरस नेचर आपको आगे बढ़ने में मदद करेगा
         हिस्ट्री की जानकारी रखें
ट्रैवल एंड टूरिज्म कोर्स के खास इंस्टिट्यूट
         इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंटनई दिल्लीगोवानेल्लोर
         इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटीदिल्ली
         नैम इंस्टीटय़ूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीजनई दिल्ली
         एमिटी इंस्टीटय़ूट ऑफ ट्रैवल एंड टूरिज्म
         लखनऊ यूनिवर्सिटीउत्तरप्रदेश
         कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीजदिल्ली विश्वविद्यालयनई दिल्ली
         जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालयनई दिल्ली
शौक को बनाया कॅरियर
बिहार के मुंगेर में रहने वाले संदीप अग्रवाल को शुरू से ही घूमने का बड़ा शौक था. हर देश के कल्चर, वहां के रीति रिवाज़ को जानने में वह बहुत दिलचस्पी लेते हैं. आर्ट्‌स से ग्रेजुएशन करने के बाद संदीप ने अपने शौक को ही अपना कॅरियर बनाया. छह महीने का डिप्लोमा कोर्स करने के बाद संदीप ने कुछ साल आईआरसीटीसी के टूरिज्म डिपार्टमेंट में ट्रेनी के पद पर काम किया और बाद में संदीप ने कोलकाता में 'मेट्रो टूर एंड ट्रैवेल' के नाम से एक ट्रैवल एजेंसी की शुरुआत की. आज संदीप एक सफल बिजनेसमैन हैं. 
न्यू इंडिया में छपा मेरा लेख

Saturday, April 11, 2015

लैंसडाउनः पहाड़ों में छिपा हिल स्टेशन




टिप इन टॉप जहां से स्नो पॉइंट और दूर-दूर तक फैले पहाड़ देखे जा सकते हैं.
उत्तरांचल में बसा एक छोटा सा हिल स्टेशन है लैंसडाउन. बहुत शांत और साफ़ सुथरा हिल स्टेशन जिसके बारे में कम लोग ही जानते हैं. और यही वजह है कि यहां टूरिस्ट भी बहुत कम आते हैं. समुद्र तल से 1706 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद लैंसडाउन कैंट एरिया है. यहां बहुत ज्यादा पिकनिक स्पॉट तो नहीं हैं, लेकिन यहां के हर कोने में आपके मन को शान्ति और सुकून ज़रूर मिलेगा. हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग ही दुनिया का एहसास कराती है. अगर आप शांति पसंद करते हैं और एक चेंज चाहते हैं, तो आपको लैंसडाउन ज़रूर भाएगा.

गढ़वाल राइफल्स का गढ़
वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर इस खूबसूरत हिल स्टेशन लैंसडाउन को अंग्रेजों ने सन 1887 में बसाया था. यह पूरा इलाका सेना की देख-रेख में चलता है. लैंसडाउन गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है.

क्या देखें

टिप इन टॉप - नेचुरल ब्यूटी से भरपूर इस इलाके में देखने लायक काफी कुछ है. प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेने के लिए आप टिप इन टॉप जा सकते हैं. यहां से स्नो पॉइंट और दूर-दूर तक फैले पहाड़ देखे जा सकते हैं. यहां से पहाड़ों के बीच-बीच में छोटे-छोटे कई गांव दिखाई देते हैं, जिसे देखना अपने आप में एक अलग अनुभव है. एक अलग सी ही शांति है लैंसडाउन में, जिसे आप यहां पूरी तरह से महसूस कर पाएंगे. अगर आप सन राइज देखने के शौकीन हैं, तो पहाड़ों के पीछे से निकलता सूरज आपको एकदम तरोताज़ा कर देता है. साफ़ मौसम के दिनों में बर्फ से ढंके हिमालय की लंबी रेंज भी यहां से देखी जा सकती है.

भुल्ला ताल- स्नो पॉइंट के पास ही भुल्ला ताल का अपना अलग मज़ा है. यह एक छोटी-सी झील है. फैमिली और दोस्तों के साथ यहां बोटिंग का मजा उठा सकते हैं. तालाब को और सुन्दर बनाने के लिए यहां बच्चों के लिए पार्क, खूबसूरत फव्वारे और बांस के मचान लगाए गए हैं. यहां से कुछ ही दूरी पर 100 साल से ज्यादा पुराना संत मेरी चर्च है और संत जॉन चर्च है जहां आप जा सकते हैं.

राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजिमेंट म्यूजियम - इस म्यूजियम में आपको सेना के युद्ध में इस्तेमाल हुए हथियार, उनकी पोशाकें और भी बहुत कुछ ऐसा देखने को मिलेगा, जो आपके लिए नया होगा. म्यूजियम शाम 5 बजे तक ही खुला होता है. इसके करीब ही परेड ग्राउंड भी है, जिसे आम टूरिस्ट बाहर से ही देख सकते हैं. आप यहां पर सेना को ट्रेनिंग लेते हुए देख पायेंगे. 


संतोषी माता मंदिर आप शाम को सन सेट का खूबसूरत नजारा देखने के लिए 2092 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद संतोषी माता मंदिर जा सकते हैं. यह लैंसडाउन की ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है. यह भी यहां का एक पुराना मंदिर है और सन सेट के लिए मशहूर है.

तारकेश्वर महादेव मंदिर - पहाड़ की चोटी पर बना तारकेश्वर महादेव मंदिर, लैंसडाउन  का पवित्र धार्मिक स्थान है. भगवान शिव के  इस मंदिर के दर्शन के लिए हर साल हजारों भक्त आते हैं. यह मान्यता है कि  इस मंदिर में मांगी गई हर मन्नत भगवान पूरी करते हैं. हर साल यहां महाशिवरात्रि का त्योहार बहुत हर्षोल्लास से मनाया जाता है. साथ ही यहां कई छोटे- छोटे झरने भी हैं. इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर ताड़ और देवदार के वृक्षों से घिरा हुआ है.

रुट लवर्स लेन
अगर आप एडवेन्चर की चाह रखने वाले हैंतो इस क्षेत्र में ट्रैकिंग और जंगल सफारी का भी मजा ले सकते हैं. इस क्षेत्र में ट्रैकिंग के लिए का सबसे बढिया पॉइंट रुट लवर्स लेन हैं. भैरव गढ़ी भी ट्रैकिंग के लिए अच्छी जगह है.
कोटद्वार से लैंसडाउन जाने वाले रास्ते में आप लेक के पास रुक कर सूरज की धूप एन्जॉय कर सकते हैं. यहां भी एक पुराना और बहुत मान्यता वाला सिद्धबली बाबा का मंदिर है. मिटटी के कच्चे से टीले पर बने होने के बाबजूद भी इस मंदिर को किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा क्षति नहीं पहुंचा पाती है..


न्यू इंडिया हिन्दी मासिक पत्रिका के जनवरी अंक में छपा मेरा लेख

Tuesday, April 7, 2015

शिक्षा की शान नालंदा

न्यू इंडिया मासिक पत्रिका के अप्रैल अंक में नालंदा पर छपा मेरा एक लेख
कर्नाटक के मैसूर निवासी 30 वर्षीय मैक्ने डेनियल बंगलुरू में 30,000 रुपए प्रति माह की नौकरी कर रहे थे, लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ दी और बिहार की नालंदा विश्वविद्यालय के पहले सत्र 2014-16 में पारिस्थितिकी और पर्यावरण विषय के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला ले लिया. इसके लिए उन्हें सालाना 3,00,000 रुपए खर्चने पड़ेंगे. वह कहते हैं, ‘गौरवशाली अतीत वाले इस विश्वविद्यालय का हिस्सा बनना, किसी सपने के सच होने जैसा है.
  • भूटान निवासी नवांग तो भूटान विश्वविद्यालय में बाकायदा डीन के पद पर कार्यरत थे. उन्होंने दो साल की छुट्टी ली और बतौर स्टुडेंट नालंदा विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अध्ययन के लिए दाखिला लिया है. एक अन्य स्टुडेंट जापान के अकिरोनारा मुरा कहते हैं, ‘नालंदा पवित्र भूमि है, जिससे उनकी आस्था जुड़ी है.
  • कोलकाता की सना सला हों या दिल्ली के अरुण गांधीदेश- विदेश के विभिन्न हिस्सों से आए स्टुडेंट यहां एडमिशन करा कर फख्र महसूस कर रहे हैं. वैसे यहां दाखिला लेना इतना आसान भी नहीं था. वाइसचांसलर डॉ. गोपा सभरवाल के मुताबिक, पीजी में दाखिले के लिए करीब 1,500 आवेदन आए थे. लेकिन विश्वविद्यालय के निर्धारित मानदंडों पर 15 लोग खरे उतरे हैं, जिनको दाखिला दिया गया है. 

यह वही नालंदा विश्वविद्यालय है, जो दुनिया भर में शिक्षा केंद्र के रूप में विख्यात रहा और जिसे 821 साल पहले बख्तियार खिलजी की आक्रमणकारी सेना ने तबाह कर दिया था. 1 सितंबर 2014 को यह दोबारा खुला और नए सत्र की शुरुआत दो कोर्स- पारिस्थितिक की और पर्यावरण तथा इतिहास अध्ययन के 15 स्टुडेंट्स और 11 फैकल्टी मेंबर्स के साथ हुई थी.


गौरवशाली इतिहास
बिहार की राजधानी पटना से कुछ 100 किलोमीटर की दूरी पर नालंदा जिले में बना नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है. 450 ईस्वी. में इसकी स्थापना हुई थी. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त ने की थी. स्थापना के बाद इसे सभी शासक वंशों का समर्थन मिलता गया. महान शासक हर्षवर्धन ने भी इस विश्वविद्यालय के लिए खुले हाथ दान दिया. इस विश्वविद्यालय को विदेशी शासकों की भी सहायता मिली.
सम्राट अशोक तथा हर्षवर्धन ने यहां सबसे ज्यादा मोनेस्टी और मंदिरों का निर्माण करवाया. यहां की सभी इमारतों का निर्माण लाल पत्थर से किया गया है. आज भी आप इस विश्वविद्यालय की मुख्य दो मंजिला इमारत देख सकते हैं.
माना जाता है कि शायद यहीं शिक्षक अपने छात्रों को संबोधित किया करते थे. यहां एक प्रेयर रूम आज भी सुरक्षित अवस्था में है. इसमें भगवान बुद्ध की स्टैचू रखी हुई है. मंदिर नंबर 3 से इस पूरे क्षेत्र का विशाल नजारा दिखाई देता है. यह बुद्ध का मंदिर है, जिसमें कई छोटे-बड़े स्तूप हैं, जिनमें भगवान बुद्ध के स्टैचू आपको देखने को मिलेंगे.
अध्ययन केन्द्र
ऐसा माना जाता है कि महात्मा बुद्ध यहां कई बार आए थे, इसीलिए पांचवी शताब्दी से लेकर बारहवीं शताब्दी तक इसे बौद्ध शिक्षा के केंद्र के रूप में भी जाना जाता था. सातवीं शताब्दी में ह्वेनसांग भी यहां रिर्सच करने आए थे. उनके तमाम लेखों में यहां की अध्ययन प्रणाली, अभ्यास और मठवासी जीवन की पवित्रता का बेहद रोचक वर्णन मिलता है.
 यह दुनिया का पहला आवासीय अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय था. जहां दुनियाभर के तकरीबन 10,000 छात्र अध्ययन करते थे और इसी विश्वविद्यालय में रहते भी थे. यहां 2000 शिक्षक पढ़ाते थे. यहां आने वाले विद्यार्थियों में बौद्ध यात्रियों की संख्या ज्यादा थी.
संग्रहालय
विश्वविद्यालय परिसर की विपरीत दिशा में एक छोटा-सा पुरातत्वीय संग्रहालय बना हुआ है. यहां खुदाई से प्राप्त अवशेषों को रखा गया है. इसमें भगवान बुद्ध की विभिन्न प्रकार की मूर्तियों का अच्छा-खासा संग्रह है. साथ ही बुद्ध की टेराकोटा मूर्तियां और प्रथम शताब्दी का दो जार भी इस संग्रहालय में रखा हुआ है.
  इसके अलावा तांबे की प्लेट, पत्थर पर खुदा अभिलेख, सिक्के, बर्तन तथा 12वीं सदी के चावल के जले हुए दाने रखे हुए हैं. नव नालंदा महाविहार एक शिक्षण संस्थान है. इसमें पाली साहित्य तथा बुद्ध धर्म की पढ़ाई एवं अनुसंधान होता है. यह एक नया संस्थान है. इसमें दूसरे देश के छात्र भी अध्ययन करने आते हैं.
मेमोरियल हॉल
ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल एक नवनिर्मित भवन है. यह भवन चीन के महान तीर्थयात्री ह्वेनसांग की याद में बनवाया गया है. इसमें उनसे संबंधित चीजें तथा उनकी मूर्ति देखी जा सकती है. नालंदा विश्वविद्यालय के जलने के बाद उससे जुड़े अधिकांश दस्तावेज समाप्त हो गए थे. ह्वेनसांग ने यहां से पढ़ाई करते हुए तथा उसके बाद इसके बारे में जो कुछ लिखा, उससे हमें इस महान स्थान के बारे में काफी जानकारी मिल पाई.
800 साल बाद...
1 सितंबर, 2014 को प्राचीन और आधुनिक भारत के इतिहास के बीच ज्ञान की टूटी कड़ी एक बार फिर जुड़ गई. लगभग 800 साल बाद नालंदा विश्वविद्यालय (एनयू) फिर से शुरू हुआ. उम्मीद तो थी कि इस आयोजन पर अस्थायी परिसर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राचीन नालंदा महाविहार के खंडहर रूप बदल कर जी उठेंगे, लेकिन ऐसा कुछ ख़ास हुआ नहीं.
  विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपा सभरवाल कहते हैं कि छात्रों की संख्या कम ज़रूर है, लेकिन क्योंकि इसे एक शोध संस्थान के रूप में विकसित किया जा रहा है, लिहाजा यहां अन्य संस्थानों की तरह भीड़ की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए.
  विश्वविद्यालय में फिलहाल, दो विषयों (स्कूल ऑफ़ हिस्टोरिकल स्टडीज और स्कूल ऑफ़ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट) की पढ़ाई की अस्थाई व्यवस्था की गई है और सात शिक्षक नियुक्त किए गए हैं. 2014-15 के पहले सत्र के लिए जापान और भूटान के एक-एक छात्र और भारत के विभिन्न राज्यों के 13 छात्र-छात्राओं ने अपना नामांकन कराया है.
 विश्वविद्यालय में शिक्षण शुल्क तीन लाख रुपए सालाना है, लेकिन वर्तमान बैच को फीस में 50 प्रतिशत की छूट दी गई है. साथ ही विश्वविद्यालय की ओपन युनिवर्सिटी में फिलहाल हर विषय की पढ़ाई चल रही है.