Thursday, October 8, 2015

बिहार विधानसभा चुनाव में 'पार्टियां ही पार्टियां'


बिहार के चुनावी मैदान में इस बार ‘पार्टियां ही पार्टियां’ दिखती नजर आ रहीं हैं. ये पार्टी कोई गाने-बजाने वाली पार्टी नहीं बल्कि राजनीतिक पार्टियां हैं. मजा तो यह की इनके नाम, नारे, झंडे सब रंगारंग हैं.

बिहार की राजनीति में आए राजनीतिक समीकरण में राज्य के तमाम दिग्गज अपनी-अपनी अलग पार्टी बना कर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं . इन दिग्गजों में जद (यू) से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (हम), केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, लालू के राजद से अलग हुए सासंद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, पूर्व सांसद साधु यादव का जनता दल सेक्यूलर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री नागमणि की समरस समाज पार्टी भी चुनावी मैदान में हैं.

हालांकि इनमें से कई ने दबाव बनाकर बड़ी पार्टियों से समझौता कर लिया है, पर इनके बारे में जानना कम रोचक नहीं है. 

बड़ों को देख छोटे भी मैदान में

बिहार के चुनावी मैदान में GAP भी होगें । GAP  यानी के गरीब आदमी पार्टी । GAP के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम भारतीय हैं और इनका चुनाव चिन्ह है ‘सीटी’.  श्याम भारतीय ने अपने पार्टी के प्रचार के लिए लोगों को टिकट देने के लिए अपने वेबसाइट पर आमंत्रण भी दे रखा है.  हर आने वाले से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कहते हैं- 'सीटी बजाओ, चोर भगाओ'.

गरीब आदमी पार्टी ने सोलहवीं लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे देश में 11 प्रत्याशी उतारे थे । महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और झारखंड के विधानसभा चुनावों में भी GAP ने अपने प्रत्याशी उतार चुके है । अब GAP बिहार की तैयारी में है । 

इसी साल यानी 2015 में एक पार्टी रजिस्टर्ड हुई है, जिसका नाम है सदाबहार पार्टी । इस पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश यादव ने बिजली विभाग की नौकरी छोड़ खुद की पार्टी बनाई है । पार्टी के नाम के सवाल पर ओमप्रकाश कहते है, ''हमारी पार्टी सबके लिए है, किसी जाति या वर्ग विशेष के लिए नहीं। 

यह सदाबहार पार्टी है, जो सबको अपने साथ जोड़ लेती है. '' इसके अलावा 'जनता राज विकास पार्टी', 'भारत निर्माण पार्टी', 'राष्ट्रीय समानांतर दल', 'जवान किसान मोर्चा' जैसे नामों वाली दर्जनों पार्टियां चुनावी मैदान में हैं। इन तमाम पार्टियों के बीच BAAP भी है BAAP यानी के 'भारतीय आम आवाम पार्टी' है. 

लेकिन अंग्रेज़ी में छोटा करने पर ये 'बाप' बन जाता है । इसके नेता उमेश कहते है, ''हिंदी में हमने नाम बिना सोचे-समझे रख दिया, लेकिन अंग्रेज़ी में देखा तो ये 'बाप' था. अब नाम रख ही लिया है तो हम सब पार्टियों के 'बाप' बनकर दिखाएगें.''

खुद ही लगाना पड़ता है पैसा

इन पार्टियों से लड़ने वालें उम्मीदवारों को खुद ही पैसा लगाकर चुनाव लड़ना पड़ता है । ठीक वैसे ही जैसे की निर्दलीय उम्मीदवार लड़ते है । अंतर की बात यहीं है कि पार्टी से लड़ने पर आपको कई एक पहचान और कई लोगों का साथ मिल जाता है । ये पार्टियां चुनाव लड़ने के लिए फंड नहीं दे सकतीं, लेकिन टिकट चाहने वालों की भीड़ इनके यहां भी कम नहीं.

छोटी पार्टी की एंट्री

दरअसल, बिहार के चुनावों में छोटी-छोटी रजिस्टर्ड पार्टियों की दस्तक बढ़ती जा रही है. साल 1995 में छोटी पार्टी की संख्या जहां 38 थी , वहीं साल 2000 में 31 हो गई, पर साल 2005 ये फिर बढ़कर 40 और साल 2010 आते-आते 72 हो गई.

Monday, October 5, 2015

जमालपुर विधान सभा: जहां विकास है अहम मुद्दा

बिहार में चुनावी डंका बज चुका है, लिहाज़ा राजनीतिक दलों ने विधानसभा चुनाव की तैयारी और जोर-शोर के साथ शुरू कर दी है । सत्तारूढ़ जद (यू), राजद, कांग्रेस सहित विपक्षी दल बीजेपी और लोजपा व अन्य अपनी-अपनी रणनीति बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहें । बिहार के योग नगरी मुंगेर की अगर बात करें तो यहां भी राजनीतिक तापमान साफ दिखाई दे रहा है । राजनीतिक परिदृश्य कुछ-कुछ बदला-बदला सा नज़र आ रहा है । जिलें के विधानसभा क्षेत्र और सीटों पर नजर डालें तो ज़िले की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर राजद का क़ब्ज़ा है और एकमात्र लोह नगरी जमालपुर विधानसभा क्षेत्र जद (यू) के खाते में है।

सीट का चुनावी इतिहास
इस सीट का चुनावी इतिहास देखा जाए तो यह सीट जनता परिवार की पुश्तैनी सीट जैसी है । 1980 के बाद से ही जनता दल, एलकेडी और आरजेडी के टिकट पर लगातार पांच बार उपेंद्र प्रसाद वर्मा जमालपुर से विधायक रहें । पर, साल 2005 के चुनावों में जद (यू) के शैलेश कुमार ने उपेंद्र को हराकर यह सिलसिला तोड़ दिया। साल 2010 के बिहार 
विधानसभा चुनावों में भी शैलेश कुमार ने एलजेपी की साधना देवी को करीब 27 हज़ार वोटों से हराया ।

विकास की राह से दूर हैं जमालपुर
विकास की राह पर आज भी जमालपुर काफी पीछे ही दिखाई देता है । जमालपुर विधानसभा क्षेत्र वर्तमान में जद (यू) के क़ब्ज़े में है। शैलेश कुमार यहां के विधायक हैं। पिछले 25 वर्षों से इस सीट पर क़ाबिज़ राजद के उपेंद्र प्रसाद वर्मा को जमालपुर की जनता ने जिस उद्देश्य से गद्दी से उतार कर शैलेश कुमार को मुकुट पहनाया था, वह सत्ता के गलियारों में कहीं खो गया । जमालपुर की जनता ने जिस उम्मीद से शैलेश कुमार को जीत का ताज पहनाया था, कुमार उस उम्मीद पर खरें नहीं उतर पाए । जमालपुर में रेल इंजन कारखाना होने के बावजूद यहां के लोगों के पास रोजगार नहीं हैं । लोगों का कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में भी पीछे है, सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षक की कमी है । प्रकृतिक खूबसुरती है जिससे रोजगार के उपयोग में लाया जा सकता है,पर उसमें भी सरकार की कोई नजर नहीं हैं । सरकार इन सबसे परे है ।

जातीय और राजनीतिंक समीकरण
जमालपुर विधानसभा क्षेत्र के बरियारपुर प्रखंड की 11 पंचायतें अब मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में आ गई हैं, जिससे मुंगेर सहित जमालपुर का जातीय और राजनीतिक समीकरण बदल गया है। नए जातीय समीकरण में कोयरी, कुर्मी, भुमिहार,पासवान और धानुक मतदाताओं के जुटने से जद (यू) का पलड़ा भारी लग रहा है, लेकिन पार्टी के अंदर मचे घमासान और लालू के साथ गठबंधन का असर विधानसभा चुनाव पर पड़ने की उम्मीद है जिससे परिणाम चौंकाने वाले हो भी सकते हैं।

चुप औऱ आक्रमक वोटर
जमालपुर के लोग भले ही अपने विधायक के नाराज हो पर नीतीश कुमार को लेकर यहां को लोगों में कोई खास गुस्सा नहीं हैं । शहर में व्यापार कर रहें युवा मनीष कुमार बताते हैं कि नीतीश ने पीछले दस सालों में काम तो अच्छा किया हैं चाहें वो शिक्षा के क्षेत्र में हो या विकास के क्षेत्र में । हां रोजगार के क्षेत्र में कमी रही है पर उम्मीद कायम हैं । वोट किसे देंगे इस सवाल पर वो कहते है लोकसभा चुनाव से मोदी लहर कायम है । मोदी जी देश-विदेश में चरचा में रहते आए हैं । मोदी जी के पीएम बनने से भारत को एक नई पहचान मिली ठीक वैसे ही नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से बिहार को एक पहचान मिली हैं ।

यहीं सस्पेंस इस चुनाव की खासियत है और कई वोटर एऩडीए और नीतीश को बेचैन करने में लगे हैं । लोगों का यह भी कहना है कि बिहार में फिर से जंगल राज नहीं चाहते ऐसे में लालू के समर्थक भी कम देखने को मिल रहें हैं । लोगों की मानें तो इस क्षेत्र में कड़ी टक्कर लोजपा के प्रत्याशी हिमांशु कुंवर और जद (यू) नेता शैलाश कुमार के बीच हैं । आने वाले 12 तारीख को मतदाता आपने मत का प्रयोग करेंगें । 

Saturday, May 16, 2015

क्रोध...

क्रोध.. 

“क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है. मूढ़ता से स्मृति भ्रांत और स्मृति भ्रांत होने से बुद्धि नष्ट हो जाती है. बुद्धि नष्ट होने पर प्राणी स्वयं समाप्त हो जाता है. जैसे वर्षा ऋतु में धूल विलुप्त हो जाती है, उसी प्रकार क्रोध आने से अंत: करण के समस्त सदगुण शून्य हो जाते है”. -- श्री कृष्णजी, भगवत गीता 
क्रोध क्या है, हम सभी इसे महसूस करते हैं. क्रोध एक प्रकार की मनोवस्था है, लेकिन जब यह हमारे बस के बाहर हो जाता है तब यह विनाशकारी हो जाता है, और हिंसक आक्रोश में बदल जाता है. जब स्थितियां हमारे अनुकूल नहीं होतीं तब हम असंतोष , तनाव , अवसाद और हताशा जैसी भावनाओं का शिकार हो जाते हैं. यही हताशा क्रोध को जन्म देती है. क्रोध में मनुष्य विवेक शून्य हो जाता है और सही और गलत का अंतर भी भूल जाता है. हीन भावना या अपने आप को उच्च न समझने से भी क्रोध की स्थिति आती है. और इससे समस्याएं जन्म लेती हैं, चाहे वे समस्याएं कार्यक्षेत्र में हों या व्यक्तिगत सम्बंधों में, यह जीवन को हर तरह से प्रभावित करता है. हमारे अपने, हमारे क्रोध से डर कर अपनी बात हमारे सामने रख भी नहीं पाते. और धीरे धीरे वो आपसे दूर होते चले जाते हैं. और काम में भी उर्जा और सम्मान हमारे क्रोध के कारण हमारा साथ छोड़ने लग जाते हैं. हमारे सभी धर्म गुरुओं ने क्रोध को हमारा सबसे बड़ा शत्रु बताया है. 
तुलसीदास कहते हैं "क्रोध पित नित छाती जारा" अर्थात क्रोध ऐसा विष है जो ह्रदय को जलाता है. क्रोध से कभी कुछ अच्छा नहीं होता, क्रोध करने का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है, क्रोध से आपकी जीत नहीं बल्कि आपकी हार ही होती है. 

महात्मा बुद्ध ने हमेशा से ही क्षमा और शान्ति के मार्ग पर चलने के लिए कहा है. उन्होनें क्रोध करना अनर्थ बताया है. उनके अनुसार जो मनुष्य क्रोध करता है, उसके शत्रु उससे खुश रहते हैं. आइये जानते हैं उन्होनें क्या कहा: · 
  • क्रोध खौलते हुए पानी की तरह है जिसमें इन्सान अपना चेहरा नहीं देख पता. क्रोध सदा अनुचित व्यवहार कराता है. इसका आरम्भ मूर्खता से और समापन पश्चाताप पर होता है. क्रोध के निवारण का सर्वोत्तम उपाय धैर्य और क्षमा है . धैर्य से क्रोध शांत और क्षमा से समूल नष्ट होता है.
  • मनुष्य चाहता है कि उसका शत्रु बदसूरत हो जाए क्योंकि कोई भी यह पसंद नहीं करता है कि उसका शत्रु सुंदर हो, दयामय हो . जब उसे क्रोध आता है, तो भले ही उसने मल-मलकर स्नान किया हो, इत्र लगाया हो, बाल और दाढ़ी ठीक ढंग से बनाई हो, उसके कपड़े साफ हों, फिर भी वह अच्छा नहीं लगता है क्योंकि उसकी आंखों में क्रोध भरा हुआ है. इससे उसके शत्रु को प्रसन्नता होती है.
  • मनुष्य चाहता है कि उसका शत्रु दर्द में हो. क्योंकि कोई आदमी यह पसंद नहीं करता कि उसका शत्रु आराम से रहे. जब उसे क्रोध आता है तो भले ही वह बढ़िया बिस्तर पर पड़ा हो, बढ़िया कंबल उसके पास हो, सिर और पैर के नीचे बढ़िया तकिए लगे हों, फिर भी वह दर्द का अनुभव करता है क्योंकि उसकी आंखों में क्रोध भरा हुआ है. इससे उसके शत्रु को प्रसन्नता होती है.
  • मनुष्य चाहता है कि उसका शत्रु संपन्न न रहे. क्योंकि अपने शत्रु की संपन्नता किसी को अच्छी नहीं लगती. मनुष्य जब क्रोध का शिकार होता है, तब वह बुरे को अच्छा और अच्छे को बुरा समझता है. इस तरह करते रहने से उसे हानि और कष्ट भोगना पड़ता है. उसकी संपन्नता जाती रहती है. इससे उसके शत्रु को प्रसन्नता होती है.
  • मनुष्य चाहता है कि उसका शत्रु धनवान न हो. क्योंकि कोई यह पसंद नहीं करता कि उसका शत्रु पैसेवाला हो. जब उसे क्रोध आता है तो भले ही उसने अपने श्रम से संपत्ति जुटाई हो, अपनी भुजाओं से, अपने श्रम के बल पर पसीने से, ईमानदारी से पैसा इकट्ठा किया हो, वह गलत काम करने लगता है,जिससे उसे जुर्माना आदि करना पड़ता है. उसकी संपत्ति नष्ट हो जाती है. इससे उसके शत्रु को प्रसन्नता होती है. 
  • मनुष्य चाहता है कि उसके शत्रु का मान-सम्मान न हो. क्योंकि कोई आदमी यह पसंद नहीं करता कि उसके शत्रु की मान-सम्मान हो. जब उसे क्रोध आता है तो पहले उसने भले ही अपने अच्छे कामों से सम्मान प्राप्त की हो, अब लोग कहने लगते हैं कि यह तो बड़ा क्रोधी है. उसकी सम्मान मिट जाती है. इससे उसके शत्रु को प्रसन्नता होती है.
  • मनुष्य चाहता है कि उसका शत्रु मित्रहीन रहे, उसका कोई मित्र न हो. क्योंकि कोई मनुष्य नहीं चाहता कि उसके शत्रु का कोई मित्र हो. जब उसे क्रोध आता है तो उसके मित्र, उसके साथी, उसके सगे-संबंधी उससे दूर रहने लगते हैं क्योंकि वह क्रोध का शिकार होता है. इससे उसके शत्रु को प्रसन्नता होती है.
  • मनुष्य चाहता है कि मरने पर उसके शत्रु को सुगति न मिले उल्टे नरक में बुरा स्थान मिले. क्योंकि कोई शत्रु नहीं चाहता कि उसके शत्रु को अच्छा स्थान मिले. जब मनुष्य को क्रोध आता है तो वह मन, वचन, कर्म से तरह-तरह के गलत काम करता है. इससे मरने पर वह नरक में जाता है. इससे उसके शत्रु को प्रसन्नता होती है.
बुद्ध कितने शांत स्वभाव के थे उसकी तो बहुत सी कहानियां हैं पर क्रोध को लेकर बुद्ध के बारे में एक कहानी प्रचलित है. एक गाँव के लोग बुद्ध को पसंद नहीं करते थे. और एक बार बुद्ध जब वहां से निकलकर जा रहे थे तो वहां के लोगों ने उन्हें घेर लिया और उनके ऊपर गुस्सा करने लगे और अपशब्द बोलने लगे. उजब उनका चिल्लाना बंद हुआ तब बुद्ध ने कहा, "मेरे मित्रों तुम्हारी बात पूरी हो गई हो तो मैं जाऊं, मुझे दूसरे गांव पहुंचना है". वे लोग थोड़े हैरान हुए. और उनमें से एक व्यक्ति ने बुद्ध से पूछा, "हमने क्या कोई मीठी बातें कहीं हैं, हमने तो गालियां दी हैं सीधी और स्पष्ट. और तुम ऐसे कर रहे हो जैसे कुछ हुआ ही न हो. और एकदम शांत हो. बुद्ध ने कहा, "तुमने थोड़ी देर कर दी. अगर तुम कुछ वर्ष पहले आए होते तो मैं भी तुम्हें गालियां देता. मैं भी क्रोधित होता. थोड़ा रस आता, बातचीत होती, मगर तुम लोग थोड़ी देर से आए हो". अब मैं उस जगह हूं कि तुम्हारी गाली लेने में असमर्थ हूं. तुमने गालियां दीं, वह तो ठीक लेकिन तुम्हारे देने से ही क्या होता है, मुझे भी तो उन्हें लेने के लिए बराबरी का भागीदार होना चाहिए. मैं उसे लूं तभी तो उसका परिणाम हो सकता है. लेकिन मैं तुम्हारी गाली लेता नहीं. मैं दूसरे गांव से निकला था वहां के लोग मिठाइयां लाए थे भेंट करने. मैंने उनसे कहा कि मेरा पेट भरा है तो वे मिठाइयां वापस ले गए. इसी तरह तुमने मुझे क्रोध दिया, मैंने लिया ही नहीं तो जब मैं लूंगा ही नहीं तो कोई मुझे कैसे दे पाएगा". क्रोध किसी भी तरह अच्छा नहीं होता, न देने के लिए और न लेने के लिए. आप का क्रोध आपके दुश्मन की संख्या को बढ़ाता चला जाता है. क्रोधी आदमी किसी बात का ठीक अर्थ नहीं समझता. वह अंधकार में रहता है. वह अपना होश खो बैठता है. वह मुंह से कुछ भी कह देता है. उसे किसी बात की शर्म नहीं रहती. वह किसी की भी हत्या कर बैठता है, फिर वह साधारण आदमी हो या साधु हो, माता-पिता हों या कोई और. वह आत्महत्या तक कर बैठता है. क्रोध से मनुष्य का सर्वनाश होता है. जो लोग क्रोध का त्याग कर देते हैं, काम, क्रोध, ईर्ष्या से अपने को मुक्त कर लेते हैं, वे निर्वाण पाते हैं. 
न्यू इंडिया पत्रिका के मई अंक मेें छपा मेरा  लेख...

Tuesday, May 5, 2015

जिम कॉर्बेटः चलिये चलें बाघों के राज में

जिम कॉर्बेट पार्क 
अगर आप वाइल्ड लाइफ के शौकीन हैं और पहाड़ की सैर का मजा उठाना चाहते हैंतो लीजिये एक ब्रेकऔर हो जाइये तैयारक्योंकि जिम कॉर्बेट पार्क की सैर का आनंद लेने का मौसम नजदीक है और इसमें लगेंगे सिर्फ तीन दिन. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखण्ड के कुमाऊं की पहाड़ियों के घने जंगल और रामगंगा नदी के किनारे मौजूद है. भारत के सबसे पुराने राष्ट्रीय पार्क में गिना जाने वाला जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क देश के सबसे लोकप्रिय टाइगर रिजर्व में से एक है. इस पार्क में आपको जंगली बाघहाथीबारहसिंगाजंगली हिरनसफ़ेद मोर के साथ - साथ 50 और स्तनधारी नस्ल के जानवर और पक्षियों की 580 प्रजातियों देखने को मिल सकती हैं.

जिम कॉर्बेट पार्क घूमने के लिए आपको रामनगर तक जाना पड़ेगा. पार्क रामनगर से लगभग 14 किमी दूर है. जिम कॉर्बेट पार्क को पांच जोन में बाटा गया है. झिरनाबिजरानीढिकालादुर्गादेवी और सीताबनी. इस के जोन की सीमा लगभग रामनगर से ही शुरू हो जाती है. रामनगर और पार्क के इन जोनो के बीच बड़े- छोटे हर तरह के होटल और रिसोर्ट मौजूद हैं.  आप अपनी सुविधापसंद और बजट के हिसाब से यहां ठहर सकते हैं. आप किसी भी जोन में होंपार्क में जाने के लिए आपको सफारी एडवांस में ही बुक करनी पड़ेगी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से परमिट लेना पड़ेगा. आपके साथ एक गाइड का होना ज़रूरी हैजो आपको सफारी के साथ ही मिल जाता है. सफारी सिर्फ सुबह और शाम दो बार ही जंगल में जा सकती है. इसीलिए ध्यान रखेंअपनी होटल बुकिंग के साथ - साथ सफारी ज़रूर बुक  करा लें.

इन गेटों से लें पार्क में एंट्री

झीरना गेट -  रामनगर से 16 किमी दूर ख़ूबसूरती से भरा जंगल का यह हिस्साअचानक ही आपकी गाड़ी के सामने जंगली हिरन के आ जाने के लिये भी मशहूर है. यह जोन साल के 12 महीने खुला रहता है. 

दुर्गा देवी गेट -  दुर्गादेवी गेट रामनगर से लगभग 28 किमी दूर रामगंगा नदी के किनारे पर है. जंगल और जानवरों को देखने के अलावा आप नदी के पानी में महशीर मछली भी देख सकते हैं. रास्ते में आप धनगिरी म्यूजियम में भी कुछ देर रुक सकते हैं. 

सीताबनी गेट- अगर आप पक्षियों को देखने के शौकीन हैंतो आप सीताबनी गेट से पार्क में जाकर  इनका नजारा देख सकते हैं. सीताबनी गेट में गाड़ी जाने की कोई सीमा नहीं है, पूरे पार्क में यही एक जगह है जहां आप पैदल घूम सकते हैं. पक्षियों के साथ-साथ यह गेट सीताबनी मंदिर और नदी के खू्बसूरत नजारे के लिए मशहूर है. यह गेट भी १२ महीने खुला रहता है.


बिजरानी गेट-  बिजरानी गेट तमाम टूरिस्टों का सबसे पसंदीदा क्षेत्र है. बिजरानी गेट रामनगर से लगभग 1 किमी की दूरी पर है और अपने में समेटे घास के विशाल इलाकेगहरे जंगलतूफानी नालियों और वन जीवन के लिए जाना जाता है. 

धनगिरी गेट - ढीकला कॉर्बेट नेशनल पार्क का सबसे बड़ा हिस्सा है और यहाँ आप धनगिरी गेट से अन्दर जा सकते हैं. यहां रात को रुकने के लिए फारेस्ट डिपार्टमेंट के रेस्ट हाउस हैंलेकिन उसके लिए आपको पहले से ही परमिशन भी लेनी होगी और बुकिंग भीकरानी होगी.




क्या-क्या लुभाता है   

यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है टाइगर. वैसे तो आपको पार्क में तेंदुआ, हाथी, हिरन, भालू, बंदर, सियार, नीलगाय, भेड़िये, नेवला,खरगोश, चीतल, लंगूर जैसे और बहुत से जानवर देखने को मिल सकते हैं. कॉर्बेट में लगभग 600 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां हैं. यहां बगुला, डार्टर, जलकौवा, टिटहरी, पैराडाइज,फ्लाईकैचर, मुनिया, वीवर बर्ड्स, फिशिंगईगल, सर्पेन्ट ईगल, जंगली मुर्गा, मैना, मोर, बार्बेट, किंगफिशर, बत्तख, गीज, सेंडपाइपर, नाइटजार, पेराकीट्,उल्लू,कठफोड़वा, चील जैसे पक्षी भी आप देख सकते हैं. 
कॉर्बेट पार्क शाल के पेड़ों से घिरा हुआ है. तरह-तरह के पेड़-पौधे यहां देखे जा सकते हैं. बाहरी क्षेत्र में चिर और अनौरी के पेड़ देखने को मिलते हैं.

कैसे घूमें 

जीप सफारी- पार्क में घूमने के लिए जीप सफारी सबसे सुविधाजनक साधन है. खुली जीप में बैठकर जंगल में घूमने और जानवरों को देखने का अपना ही मजा है. जीप सफारी में दिन में दो बार सुबह और शाम लगभग तीन से साढ़े तीन घंटे के बीच कॉर्बेट की सैर कराई जाती है. जीप सफारी का चार्ज छह लोगों के या अकेले के लिए तीन से पांच हजार रुपए के बीच है.
हाथी सफारी- बाघों को देखने के लिए हाथी की सवारी सबसे बेहतर मानी जाती है. हाथी पर बैठकर टूरिस्ट जंगल में शाल के पेड़ों के बीच से होकर गुजरते हैं. हाथी सफारी का चार्ज छह लोगों के या एक अकेले के लिए तीन से चार हजार रुपए के बीच है.
बस सफारी- ढिकाला जोन में बस सफारी भी चलती है. ये हाथी और जीप सफारी के मुकाबले थोड़ी सस्ती होती है.


और क्या देखें 

गर्जिया देवी
 
गर्जिया देवी का मंदिर रामनगर से रानीखेत जाने वाली सड़क पर रामनगर से लगभग 15 किमी की दूरी पर है. यह मंदिर कोसी नदी के किनारे एक पहाड़ी के शीर्ष पर बना हुआ है. माता पार्वती को समर्पित इस मंदिर की बहुत मान्यता है और माना जाता है कि सिर्फ खुशकिस्मत लोग ही यहां आ पाते हैं. 

कॉर्बेट वाटर फॉल 
 रामनगर से कालाढूंगी जाने वाले रास्ते पर लगभग 27 किमी की दूरी पर कॉर्बेट वाटर फॉल  है.  60 फीट की ऊंचाई वाला यह फॉल यों तो बेहद खूबसूरत है, लेकिन टूरिस्टों की लापरवाही से थोड़ा प्रदूषित ज़रूर हो गया है.

कहां ठहरें
कॉर्बेट में रहने के लिए ढिकाला और सभी जोनों में खूबसूरत रिसोर्ट और लॉज (सस्ते और महंगे) मौजूद हैं.,लकिन अगर आप जंगल के बिलकुल पास रुकना चाहते हैं तो रामनगर से रानी खेत जाने वाली रोड पर मौजूद रिसोर्ट आपको ज्यादा पसंद आयेंगे. 
कैसे पहुंचे
दिल्ली से कॉर्बेट पार्क की दूरी 290 किमी है. यहां जाने के लिए आप रोडवेज की बसटूरिस्ट बस या टैक्सी से भी जा सकते हैं. आप रामनगर तक ट्रेन से भी जा सकते हैं. 
कब जाएं
कॉर्बेट नेशनल पार्क घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से मई तक होता है. इसी समय में आप वाइल्ड लाइफ का सही मज़ा ले पायेंगे.

न्यू इंडिया के अक्टूबर  अंक में  छपा मेरा लेख..



फ्रूट्स और वेजीटेबल्स ठंड में रखें फिट



वैसे तो आजकल बड़े शहरों में सभी तरह की सब्जियां और फल बारह महीने बिकते नज़र आते हैं, लेकिन सिजनल सब्जियां और फल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. ये न केवल आपके हेल्थ के लिए जरूरी हैं बल्कि यह आपको मौसम से जुड़ी बीमारियों से भी बचाते हैं. आजकल सर्दियों का मौसम है. सर्दियों के इस मौसम में सेहत से जुड़ी कई प्रॉब्लम्स से मौसमी सब्जियों और फलों का सेवन आपको बचा कर रखता है.

गाजरः न्यूट्रिशन से भरपूर
सर्दियों के मौसम में बाजार में लाल-लाल गाजर आपको आसानी से मिल जाएंगे. गाजर को विटामिन का अच्छा सोर्स माना जाता है. इसके अलावा गाजर में विटामिन A, C, D, K, B1 और B6 जैसे विटामिन्स भी पाए जाते हैं. इसमें नैचरल शुगर पाया जाता हैजो सर्दी के मौसम में शरीर को ठंड से बचाता है. ठंड के मौसम में होने वाली बीमारियों, जैसे नाककानगले के इन्फेक्शन और साइनस जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए गाजर या इससे बनी चीजों जैसे, गाजर का हलवासब्जीखीर का सेवन फायदेमंद साबित होता है. हांअगर कैलॉरीज से बचना चाहते हैंतो गाजर के हलवे से परहेज़ करें. 100 ग्राम गाजर में 0.9 प्रोटीन10.6 कैलॉरीज 80 मिलीग्राम कैल्शियम0.03 मिलीग्राम आयरन होता है.

मटरः स्टमक कैंसर का राम बाण
ठंड के मौसम में होने वाली मटर सब्जी में डालने से न केवल सब्जी टेस्टी हो जाती है, बल्कि हेल्थ के लिए भी उपयोगी हो जाती है. मटर को पुलाव में मिलाएं या मटर पनीर बनाएंहर तरह से यह स्वाद बढ़ाने का काम करती है. मटर को सादा भी खाया जा सकता है, जिससे कब्ज दूर होती है. मटर में एंटी ओक्सिडेंट और एंटी - इनफ्लैमेट्टरी कम्‍पाउंड होते हैं, जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम हो जाता है. मटर में फाइबर और प्रोटीन होते हैं, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है. हाल ही में हुए एक रिसर्च के मुताबिकमटर स्टमक कैंसर के खतरे को भी काफी कम कर देती है. 100 ग्राम मटर से आप केवल 60 कैलॉरीज इनटेक करते हैं. इसीलिए अगर आप वजन घटाना चाहते हैं, तो मटर इसके लिए एक अच्छा फूड है.

गरम रखती है मेथी

ठंड में मेथी के गरमागरम पराठे खाने का अपना ही मजा है. इसे सब्जी के रूप में खाएं या इसके पराठे बनाकरमेथी शरीर के लिए हर तरह से फायदेमंद होती है. इसकी तासीर गरम होती हैइसलिए सर्दियों में लोग इसे खूब खाते हैं. इसमें आयरनविटामिनमिनरल्स और फाइबर्स बेहद क्वॉन्टिटी में होते हैं. यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को घटाने के साथ डायबिटीज के रोगियों के शरीर से शुगर के लेवल को कम करने में भी मदद करती है. डाइजेशन को ठीक बनाए रखने में यह बेहद काम आती है. अगर आप रोजाना 200 से 300 ग्राम मेथी इनटेक कर लेंतो आप कई बीमारियों से बचे रहेंगे. 200 ग्राम मेथी में 7 ग्राम प्रोटीन,6.2 ग्राम कार्बोहाइड्रेट185 मिलीग्राम कैल्शियम और 32.8 मिलीग्राम आयरन होता है.

सरसों की पत्तियां
कड़ाके की ठंड हो और सरसों का साग हो तो क्या बात. सरसों की पत्तियां न्यूट्रिशन के साथ-साथ एंटि-ऑक्सिडेंट्सविटामिंस और मिनरल्स से भरपूर होती हैं. सर्दियों में पालक और बथुए के साथ मिलाकर बनाया जाने वाला इसका साग शरीर को गरम बनाए रखता है. सरसों का साग खाने से पाचन सिस्टम ठीक रहता है. इसमें कैल्शियम और पोटैशियम भरपूर मात्रा में होने की वजह से हड्डियों को मजबूती मिलती है. सरसों के साग में विटामिन A भी अच्छी मात्रा में होता है, जिससे आंखों की रोशनी बढ़ती है और आंखों की सेफ्टी रहती है. पालक और बथुआ भी सर्दियों में आने वाली ही सब्जियां हैं. ये सब्जियां भी सरसों की सब्जी की तरह ही फायदेमंद हैं.

मूली
टेस्ट में तीखी और मीठी मूली सदिर्यों में खूब मिलती है. पोटैशियमफोलिक ऐसिड और एक्रोबिक ऐसिड से भरपूर इस सब्जी को आप कच्चा खाएं या पराठा बनाकर खाएं, यह स्वादिष्ट ही लगती है. इसकी सब्जी बनाकर भी इसे खाया जा सकता है. लेकिन कच्ची मूली सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है. मूली खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं और पेट के घाव ठीक होते हैं.  सूखी मूली का काढ़ा बनाकर, उसमें जीरा और नमक डालकर पीने से खांसी और दमा जैसे रोगों से राहत मिलती है.  मोटापा कम करने के लिए मूली बहुत फायदेमंद है. इसके रस में थोड़ा-सा नमक और नींबू का रस मिलाकर नियमित पीने से मोटापा कम होता है.

सर्दियों का मेवा मूंगफली

मूंगफली प्रोटीन का अच्छा सोर्स है. यह आपको अंदर से गरम बनाए रखता है. दरअसलइसमें विटामिन Eकी क्वॉन्टिटी बहुत ज्यादा होती है. अगर आप रोजाना इसके 5 से 6 दाने खाएंतो आपकी स्किन ड्राई नहीं होगी. इसमें ओमेगा-3 पाया जाता हैजो ब्रेन को ऐक्टिव रखने में हेल्प करता है. अगर आप 200 ग्राम मूंगफली रोजाना लेते हैंतो इससे आपको 50.5 ग्राम प्रोटीन80.6 ग्राम फैट55.1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट80 ग्राम कैलॉरीज18 मिलीग्राम कैल्शियम और 18. 6 मिलीग्राम आयरन मिलेगा.

संतरा
विटामिन C से भरपूर ऑरेंज स्किन को तो फेयर बनाता ही हैसाथ ही एनर्जेटिक भी होता है. पोटैशियम,मिनरल्स और फाइबर्स का यह अच्छा सोर्स है. यही नहींइसमें कैलॉरीज मात्र 60 ग्राम होती है और प्रोटीन 80 ग्राम. इसको रोज़ अपनी डाइट का हिस्सा बनाने से आप पेट की समस्याओं से दूर रहेंगे.


ग्रीन टी
ठंड में अकसर लोग चाय और कॉफी ज्यादा लेने लगते हैं, पर अगर चाय में ग्रीन टी पीएं, तो आपके लिए यह काफी फायेदेमंद रहेगा. यह फ्रेश और लाइट होती है. और इसका कोई नुकसान भी नहीं होता है. ग्रीन टी कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेबल कम करने में मदद करती है.

ठंड में कुछ ऐसी हो आपकी डाइट
·         पराठे की जगह रोटी खाएं. और आटे को किसी भी हरी सब्जी (जैसे मेथी, पालक, बथुआ वगैरह) के साथ ही गूंथें.
·         पुलाव की जगह चावल उबालकर खाएं या स्टीम करके चावल बनाएं.
·         तला भुना खाने से बचें. सब्जियों को बेक कर या उबाल कर, या हल्का सा रोस्ट करके खाएं.
·         जितना हो सके मौसम की सब्जियों का सेवन जरूर करें.
·         गरम दूध का सेवन करें

ड्राई फ्रूट्स


ड्राई फ्रूट्स को सीधे खाएं या रोस्ट करकेयह हर तरह से फायदेमंद होता हैं. इवनिंग टी के साथ रोजाना ड्राई फ्रूट्स लेने का नियम बनाएं. ठिठुरन भरी शाम में यह आपको गरम बनाए रखेंगे. लेकिन ड्राई फ्रूट्स को लेने से पहले कुछ बातें ज़रूर ध्यान में रखें.

सूखी अंजीर: सूखी अंजीर भूख को कंट्रोल करती है. इसमें फाइबर और पोटैशियम ज्यादा मात्रा में होता है. इसे खाने से मोटापा कम करने में मदद मिलती है.
सावधानी: अंजीर गरम होती हैअंजीर को ज्यादा लेना जिगर को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए दाने से ज्यादा न खाएं.
पिस्ता: पिस्ता हार्ट पेशेंट्स के लिए बहुत फायदेमंद है. पिस्ता खाने से पेट ज्यादा समय तक भरा रहता है, इसीलिए डाइटिंग कर रहे लोगों को इसे लेना चाहिए.
सावधानी: ज्यादा पिस्ता खाने से आपको एसिडिटी की दिक्कत हो सकती है. पिस्ते में नमक होने की वजह से ब्लड प्रेशर के मरीजो के लिए यह नुकसानदायक है.
किशमिश: किशमिश से कब्ज दूर होती है. इसे एक बढि़या एंटीऑक्सीडेंट माना जाता हैजो स्टैमिना बढ़ाता है. किशमिश अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी से राहत दिलाने में भी उपयोगी साबित हुई है. अल्जाइमर को'भूलने की बीमारीभी कहते हैं.
सावधानी: किशमिश को भिगोकर ही खाएं
बादाम: बादाम शरीर के बैड कोलेस्ट्राल को कम और अच्छे कोलेस्ट्राल को बढ़ाता है. बादाम में विटामिन E,विटामिन B और फाइबर मौजूद होते हैं. बादाम में कैल्शियम भी भरपूर होता है, जो हड्डियों के लिए अच्छा होता है. बादाम को बिना छीले खाना चाहिएक्योंकि इसके छिलकों में एंटीऑक्सीडेंट होता हैजो हार्ट और नसों को सुरक्षित रखने में मदद करता है.
सावधानी: ज्यादा बादाम खाने से कब्ज हो सकती है,  इसलिए दिन में 5 बादाम से ज्यादा न खाएं.
काजू: काजू को प्रोटीनमिनरल सॉल्टजिंकआयरनफाइबर और मैगनीशियम का अच्छा स्रोत माना जाता है. काजू शरीर को एनर्जी देने के साथ कई बीमारियों से बचाता है.
सावधानी: ज्यादा काजू खाने से खुश्की और खांसी हो सकती है. एसिडिटी की दिक्कत भी हो सकती है.
अखरोट: अखरोट इंसुलिन की मात्रा को बैलेंस रखने में मदद करता है. एग्जीमा और अस्थमा के पेशेंट्स के लिए अखरोट फायदेमंद होता है.
सावधानी: अखरोट को 10 से 20 ग्राम मात्रा में ही खाएं. अखरोट गरम और खुश्क तासीर का होता है


न्यू इंडिया हिंदी मासिक पत्रिका में छपा मेरा लेख