Monday, October 5, 2015

जमालपुर विधान सभा: जहां विकास है अहम मुद्दा

बिहार में चुनावी डंका बज चुका है, लिहाज़ा राजनीतिक दलों ने विधानसभा चुनाव की तैयारी और जोर-शोर के साथ शुरू कर दी है । सत्तारूढ़ जद (यू), राजद, कांग्रेस सहित विपक्षी दल बीजेपी और लोजपा व अन्य अपनी-अपनी रणनीति बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहें । बिहार के योग नगरी मुंगेर की अगर बात करें तो यहां भी राजनीतिक तापमान साफ दिखाई दे रहा है । राजनीतिक परिदृश्य कुछ-कुछ बदला-बदला सा नज़र आ रहा है । जिलें के विधानसभा क्षेत्र और सीटों पर नजर डालें तो ज़िले की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर राजद का क़ब्ज़ा है और एकमात्र लोह नगरी जमालपुर विधानसभा क्षेत्र जद (यू) के खाते में है।

सीट का चुनावी इतिहास
इस सीट का चुनावी इतिहास देखा जाए तो यह सीट जनता परिवार की पुश्तैनी सीट जैसी है । 1980 के बाद से ही जनता दल, एलकेडी और आरजेडी के टिकट पर लगातार पांच बार उपेंद्र प्रसाद वर्मा जमालपुर से विधायक रहें । पर, साल 2005 के चुनावों में जद (यू) के शैलेश कुमार ने उपेंद्र को हराकर यह सिलसिला तोड़ दिया। साल 2010 के बिहार 
विधानसभा चुनावों में भी शैलेश कुमार ने एलजेपी की साधना देवी को करीब 27 हज़ार वोटों से हराया ।

विकास की राह से दूर हैं जमालपुर
विकास की राह पर आज भी जमालपुर काफी पीछे ही दिखाई देता है । जमालपुर विधानसभा क्षेत्र वर्तमान में जद (यू) के क़ब्ज़े में है। शैलेश कुमार यहां के विधायक हैं। पिछले 25 वर्षों से इस सीट पर क़ाबिज़ राजद के उपेंद्र प्रसाद वर्मा को जमालपुर की जनता ने जिस उद्देश्य से गद्दी से उतार कर शैलेश कुमार को मुकुट पहनाया था, वह सत्ता के गलियारों में कहीं खो गया । जमालपुर की जनता ने जिस उम्मीद से शैलेश कुमार को जीत का ताज पहनाया था, कुमार उस उम्मीद पर खरें नहीं उतर पाए । जमालपुर में रेल इंजन कारखाना होने के बावजूद यहां के लोगों के पास रोजगार नहीं हैं । लोगों का कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में भी पीछे है, सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षक की कमी है । प्रकृतिक खूबसुरती है जिससे रोजगार के उपयोग में लाया जा सकता है,पर उसमें भी सरकार की कोई नजर नहीं हैं । सरकार इन सबसे परे है ।

जातीय और राजनीतिंक समीकरण
जमालपुर विधानसभा क्षेत्र के बरियारपुर प्रखंड की 11 पंचायतें अब मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में आ गई हैं, जिससे मुंगेर सहित जमालपुर का जातीय और राजनीतिक समीकरण बदल गया है। नए जातीय समीकरण में कोयरी, कुर्मी, भुमिहार,पासवान और धानुक मतदाताओं के जुटने से जद (यू) का पलड़ा भारी लग रहा है, लेकिन पार्टी के अंदर मचे घमासान और लालू के साथ गठबंधन का असर विधानसभा चुनाव पर पड़ने की उम्मीद है जिससे परिणाम चौंकाने वाले हो भी सकते हैं।

चुप औऱ आक्रमक वोटर
जमालपुर के लोग भले ही अपने विधायक के नाराज हो पर नीतीश कुमार को लेकर यहां को लोगों में कोई खास गुस्सा नहीं हैं । शहर में व्यापार कर रहें युवा मनीष कुमार बताते हैं कि नीतीश ने पीछले दस सालों में काम तो अच्छा किया हैं चाहें वो शिक्षा के क्षेत्र में हो या विकास के क्षेत्र में । हां रोजगार के क्षेत्र में कमी रही है पर उम्मीद कायम हैं । वोट किसे देंगे इस सवाल पर वो कहते है लोकसभा चुनाव से मोदी लहर कायम है । मोदी जी देश-विदेश में चरचा में रहते आए हैं । मोदी जी के पीएम बनने से भारत को एक नई पहचान मिली ठीक वैसे ही नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से बिहार को एक पहचान मिली हैं ।

यहीं सस्पेंस इस चुनाव की खासियत है और कई वोटर एऩडीए और नीतीश को बेचैन करने में लगे हैं । लोगों का यह भी कहना है कि बिहार में फिर से जंगल राज नहीं चाहते ऐसे में लालू के समर्थक भी कम देखने को मिल रहें हैं । लोगों की मानें तो इस क्षेत्र में कड़ी टक्कर लोजपा के प्रत्याशी हिमांशु कुंवर और जद (यू) नेता शैलाश कुमार के बीच हैं । आने वाले 12 तारीख को मतदाता आपने मत का प्रयोग करेंगें । 

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