Sunday, December 30, 2012

इस ज़माने से मुझे डर लगता है



ना  करे   मुझे  अपने  से  जुदा   मेरे पापा ,
इस  ज़माने  से  मुझे   डर लगता  है ।।

थाम के मेरा  हाथ ,पकड़ के मेरी ऊँगली
चलो   हर  एक  कदम मेरे  साथ  साथ ,
न  छीन   ले  मुझे, आपसे  ये  ज़माना
इस  ज़माने  से  मुझे   डर  लगता  है ।।

ले  चल  मुझे  माँ  अपनी  ममता  की  दुनिया  में ,
   जहा मिले मुझे आपकी ममता  ,
नहीं रहना अब इन मुर्दों की  दुनिया  में
      है बहुत खुदगर्ज़ ये जमाना  

इस  ज़माने  से  मुझे   डर  लगता  है ।।
 
                 *********
 

Friday, December 28, 2012

मेरी मधुशाला II


क्या कहु मैं उनके बारे में
       जिसने बनाई ये हाला
मिला मुझे एक अलग ही दुनिया
     नाम है उसका  मधुशाला ।।

      चम चम करती  रौशनी
        दीपो के बीच हाला,
      गुण गुणाते पीने वाले
       ऐसी होती मधुशाला   ||
 
     हो कभी तनहा तुम भी
    चले आने इस दुनिया में,
  मग्न कर देगी तुम्हे भी हाला
 भा जाएगी तुम्हे भी मधुशाला ।।

    भटक जाओ अगर राह में,
    याद कर लेना मदिरापान
कश लेगी तुझे अपनी ओर हाला,
 हर राह में मिलेगी मधुशाला ।।

     है एक हम , मैं और तुम
        जहा है तु , वहा हूँ  मैं
    मिल जाते है हम दोनों
 अपनी जगह तो है मधुशाला ||


    तु है प्यार का प्याला
      भा गई मुझे हाला,
      बन गया मैं रोगी

 मेरी दवाखाना तो मधुशाला ||


Saturday, December 1, 2012

ख़त्म हुई तलाश

30 नवंबर 2012 बड़े परदे पे आमिर खान प्रोडक्शन की फ्लिम तलाश रिलीज़ हो गई । अक्टूबर 2011 को रिलीज़ होने वाली ये फ्लिम कुछ कारणों से पब्लिक के बीच  नहीं आ  पाई ,2011 मैं जब तलाश की ट्रेलर इंटरनेट पे आई तभी लोगो के बीच ये एक सनसनी फैला गई थी । साल में एक हिट फ्लिम देने वाले एक अलग स्टोरी के साथ आमिर ने इस फ्लिम को लोगो के बीच लाया जैसा की वो हर बार करते है । तलाश की स्टोरी कहा जाए तो एक ऐसी सनसनी है एक ऐसी हकीक़त जिसे कही न कही कोई न कोई लोग तो अपने आम ज़िन्दगी में कभी न कभी तो महसुस किया ही होंगे  । कई बार हमारे ज़िन्दगी में कुछ ऐसी घटना घट जाती है जिसे हम मानते है की ये हो सकता है पर वो नहीं मान पाते जिसे हमारे घटना के बारे में पता चलता  है उन्हें लगता है की ऐसा संभव नहीं है क्यूँ की वो घटना उनके साथ नहीं हुई है ऐसी बातों को वो  मजाक समझ  लेते  है । आत्माओ से मिलना ,उनको महसूस करना ,उनसे बातें करना ,ये संभव है जिसे अब साइंस भी मानने लगी है । तलाश की भी स्टोरी इसे थीम पे बनी है । बहुत ही उम्दा और  गज़ब का स्क्रीन प्ले है मूवी में रियलिटी दिखाई  गई है । रानी ने रौशनी की भूमिका बखूबी निभाई है । अपने छोटे बच्चे को खोने के गम में डूब जाने का दर्द माँ बाप के लिए आम ज़िन्दगी में कैसा होता है ये आमिर और रानी ने बहुत ही उम्दा दिखाया । करीना की वो चमेली वाली किरदार एक बार फिर लोगो को पसंद आईगी । कई बार हमारे साथ ऐसा होता है की जब हम किसी अनजान लोग से कही मिलते या तो वो उससे वक़्त खास बन जाते है या फिर कही न कही कभी न कभी हमारे ज़िदगी से बाद में जुड़ ही जाते है इस फ्लिम में भी आप कुछ ऐसा ही पाएंगे ।
मेरे हिसाब से मेरे 2012 की श्रेष्ठ मूवी की तलाश यहाँ आके खत्म हो जाती है ...इस मूवी की रेटिंग 4.5/5 होनी चाहिए ।

Saturday, November 24, 2012

मेरी मधुशाला



घर से निकल जब मैं आया राह पे
 सोचा न था कहा है जाना
जब चले मेरे कदम एक राह पे
 उस राह में था एक मधुशाला ।।

  बैठा मैं  एक जगह पे
आया मेरे हाथो में प्याला
मदहोश कर गई मुझे वो हाला
भा गई मुझे वो मधुशाला ।।

दूर हुआ वो दुःख  मेरे जीवन का 
भूल गया वो बीता कल 
जब अन्दर गई वो हाला
भा गई मुझे मधुशाला ।।

Saturday, September 1, 2012

ये पल हमे याद आयेंगे . . .


ये पल हमे याद आयेंगे. . .

वो कॉलेज की बातें हम याद आयेंगे ।। 
वो स्टाइल के साथ क्लास में एंट्री करना,
वो दोस्तों का कॉम्प्लीमेंट लेना,
वो पल हमे याद आयेंगे ।।


वो अल्बीना मैडम की मुस्कान,
वो ऋतू मैडम की प्यारी बातें ,
वो पल हमे याद आयेंगे ।। 
वो झुना मैडम की क्लास,
जिसे हम करते थे बंक करके खास,
वो पल हमे याद आयेंगे ।।


ममता मैडम की लुभाने वाली बातें,
अमिया सर के छोटी छोटी बातें,
वो बातें हमे याद आयेंगे ।।
 

स्टूडियो में रुबेन सर के साथ मस्ती,
सरबजीत सर जैसे हस्ती,
हमे याद आएंगे ।।


वो एक नज़र का पहेला प्यार,
दोस्तों से  कहना ये तो,
"ये वाली तो मेरी है यार" 
वो पल हमे याद आयेंगे ।।


जा रहा हूँ आप सब से थोड़ी दूर,
ज़िन्दगी काफी लम्बी है,
हम तो लौट के जरुर आयेंगे ।। 


ये पल हमे याद आयेंगे . . .  


Tuesday, August 28, 2012

क्या कमल और पंजे पे भाड़ी पड़ेगी अन्ना की राजनीती ?



भारत में आंदोलोनो का इतिहस रहा है जब जनशैलाब सडको पर उतरी है कुछ बड़ा बदलाव हुआ ही है जे पी  आन्दोलन सभी को याद होना चाहिए जिसने जनता के अधिकार के लिए सत्ता पार्टी जन विचारो को झकझोर दिया था और एक अमुल चुल बदलाव आया था। अन्ना  आंदोलोन को  इस नज़रिये से देखना कोई गलत नहीं होगा,लेकिन ये जन आन्दोलन के लिए था जो की बाद में जाकर  भ्रष्टाचारो के मुद्दे को भी आगे लेकर बढ़ी। इसी आंदोलोन के दौरान सत्ताधारियों का भी कहना था की अगर हम जन लोकपाल  बिल पास करने में असफल है तो क्यूँ   टीम अन्ना अपनी सर्कार बना के इस बिल को पास कराए। यह एक हास्यपद विचार है जो जनता को कहती है की अगर कुछ संसोधन करना हो या विचारो को लागु करवाना हो तो सड़क पर मत उतरो बल्कि राजनीती में आओ।इस तरह के विचारो और बयानों से हम अंदाज़ा लगा सकते है की इन राजनीतिक पार्टियों की विचारधारा कैसी हो सकती है
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों रास्ट्रीय स्तर  की पार्टिया आज हासिये पर नज़र आती है संप्रग  सरकार कांग्रेस आज हर स्तर पर जनता की कमर तोड़ राखी है आज स्थिति किसी की भी  अच्छी नहीं है चाहे वो निम्न परिवार हो मध्य या फिर उच्च वर्ग का महंगाई डाइन सबको खाए जा रही है भला जनता के पास भी कोई विकल्प नहीं है जब कांग्रेस कुछ उम्मीद की आस इनके बाच जगाये तो जनता इन्हें सत्ते में ले आती है और अगर कांग्रेस असफल  रह गई तो बाज़ी  भाजपा मर लेती है दोनों पार्टियों की राजनीती बिलकुल एक ही समान है पहले जनता को लूटो और जब समय चुनाव का आए तो जनता को खाद सुरक्षा बिल जैसे लुभाने वाली प्रोग्राम परोश कर अपनी तरफ खीच लेती है अन्ना  ने तो तीसरे मोर्चे का एलान कर दी अब सवाल ये है की  क्या टीम अन्ना ,भाजपा ,कांग्रेस जैसे विकल्प तो नहीं पेश करेगी ? क्या टीम अन्ना जनता के उमीदो पे खड़े हो पायेगी ?
अन्ना ने जनता का विचार लेकर राजनैतिक  विकल्प देने का एलान किया जहा तक सवाल जनता का विचारो का है तो इतने कम समय में ये नामुमकिन सा लगता है। अन्ना ने ये बात भी कही थी अगले डेड सालो तक देश में घुमेंगे और लोगो को जागरूक  करेंगे अन्ना का राजनीतिक  विकल्प देना तब कामयाब साबित होगा जब अन्ना गाँव गाँव तक लोगो को जागरूक करने में समर्थ होंगे और वो इस अभियान में काफी हद तक सफल भी रहे है इसका उदाहरण  है  अनशन के पहले ही दिन किसानो का मौजुद होना
बात जहा तक जन लोकपाल की है तो अब ये और भी मुश्किल हो गया है क्यूंकि अन्ना द्वारा राजनीतिक पार्टी का विकल्प देना एक तरह से उनके टीम का राजनीतिक ज़मीन पर उतरना है और ये सत्तारुद  दल शुरू दल शुरू से चाहती थी राजनीतिक विकल्प के लिए हामी भरना कांग्रेस काफी फायदेमंद साबित होगा क्यूँकी जन लोकपाल के लिए जो आन्दोलन उन पर बार बार प्रहार कर रही थी अब वो समाफ्त हो चुकी है और राजनीतिक रूप में बदलने जा रही है
अब तो बस देखना ये है की क्या टीम अन्ना एक भ्रष्ट मुक्त उम्मीदवार जनता के बीच ला पाएंगे ? क्या कमल और पंजे पे टीम अन्ना की राजनीती भाड़ी पड़ेगी ?