Friday, December 28, 2012

मेरी मधुशाला II


क्या कहु मैं उनके बारे में
       जिसने बनाई ये हाला
मिला मुझे एक अलग ही दुनिया
     नाम है उसका  मधुशाला ।।

      चम चम करती  रौशनी
        दीपो के बीच हाला,
      गुण गुणाते पीने वाले
       ऐसी होती मधुशाला   ||
 
     हो कभी तनहा तुम भी
    चले आने इस दुनिया में,
  मग्न कर देगी तुम्हे भी हाला
 भा जाएगी तुम्हे भी मधुशाला ।।

    भटक जाओ अगर राह में,
    याद कर लेना मदिरापान
कश लेगी तुझे अपनी ओर हाला,
 हर राह में मिलेगी मधुशाला ।।

     है एक हम , मैं और तुम
        जहा है तु , वहा हूँ  मैं
    मिल जाते है हम दोनों
 अपनी जगह तो है मधुशाला ||


    तु है प्यार का प्याला
      भा गई मुझे हाला,
      बन गया मैं रोगी

 मेरी दवाखाना तो मधुशाला ||


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