Friday, July 29, 2011

Mere Sapne


बात उन दिनों की है जब में अपने बोर्ड के रिजल्ट का इंतिज़ार कर रहा था,उन दिनों मैं बस इस सोच में डूबा रहता  था की बस अब कुछ कर दिखाना है समाज में अपना एक पहचान बनाना है ! दसवी की परीक्षा देने के बाद विज्ञान को अपना राह बनाया और इंजिनियर बनने का ख्वाब देखा पर अंतिम पडाव में आकर मुझे इस ख्वाब को छोरना परा क्यूँ की वोह समय ही  कुछ ऐसा होता है जहा हमारा सोच इस्थिर नहीं होता,इंजिनियर बना तो चाहता था पर दिल में एक डर सा था क्या इस राह को चुन कर अपनी एक अलग पहचान बन सकती है और साथ ही साथ इस बात का डर भी क्या इंजीनियरिंग में अपना कैरीअर बना पाउँगा तभी मेरे सामने एक  राह खुली जब मैं अपने भैया विवेक से मिला वह एक पत्रकार है उनसे मिलने पर मैंने पत्रकारिता के बारे में उनसे जाना और समझा कई दिनों तक सोचा घर वालो को अपनी परिशानी  बताई और अंतिम में अपने भैया को अपना आधर्ष मान कर,मैंने पत्रकार बने का फैसला किया और अपनी छोटे से शहर जमालपुर को अलविदा कह कर मैं दिल्ली गया. दिल्ली आके मैंने कई जगह पत्रकारिता में ग्रैजूएशन की  पढाई के लिए अपना  फॉर्म भरा और अंतिम में  दिल्ली प्रेस के इन्स्टिटूट मस्स्को मीडिया में अपना ऐड्मिशन करवाया ! इस राह को चुने के बाद मैं अपने फैसले से  काफी ख़ुश था,अब बारी थी कुछ करने की इसी दोरान फर्स्ट इयर से हे मैंने एक मैगज़ीन के लिए फ्रीलैन्स  करने लगा धीरे धीरे  मुझे इस छेत्र में मनं लगने लगा और फिर मैंने कुछ ही  महीनो में जन सन्देश जो की एक रास्ट्रीय न्यूज़ चैनल है उसमे आउट पुट विभाग में इन्टरन शिप करने लगा जहा मुझे अपने हे फिएल्ड के काफी अनुभवशाली लोगो के साथ काम करने का मौका मिला यूँ समझ लीजये की इन्स्टिटूट जो कुछ  भी मुझे सिखता था मैं वाहा उस चीज़ को प्रक्टिस करता था ! जन सन्देश में इन्टरन करने से मुझे अपने लाइन के बारे में काफी कुछ  पता चला जैसे : कैसे काम किया जाता है,कैसे न्यूज़ स्क्रिप्ट्स लिखे जाते है कोई भी प्रोग्राम को कैसे निर्देशांक किया जाता है इत्यादि  और रात की शिफ्ट में काम भी कम और शिखने को कुछ ज्यादा ही  मिलता था वहा सभी लोगो ने मुझे शिकया और मेरी मदद भी की और एक चीज़ भी जाने को मिली की हर न्यूज़ चैनल का काम करने का एक अपना एक तरीका होता है ! जन सन्देश के बाद मैं कुछ महीयने ऐसे हे बैठना चाहा पर बैठ सका ऐसा लगा रहा था की कुछ अधुरा सा है फिर कोसिस करते करते  मुझे अपना पसंदीदा  न्यूज़ चैनल ibn 7 में इन्टरन करने का मौका मिला वहा मेरे एक और आधर्ष बने मेरे पापा के मित्र अनंत विजय अंकल मुझे उनकी हर एक बात उनका अंदाज़,पर्सनैलिटी को मैं काफी पसंद करता हूँ ! IBN 7  जो की एक बहुत हे बड़ी मीडिया कंपनी है वहा काम करने का मज्जा ही कुछ और था उस एक महीने में मैंने व
हा काफी कुछ शिखा वोह भी प्रक्टिकल तरीके से मेरे सेनिओर्स वहा मुझे काफी प्यार से समझाते और एक बड़े चैनल में कैसे  काम  करते है येः मुझे वहा शिकने को मिला..मैं इस मामले में अपने आप को काफी खुशनसीब समझता हूँ जो इतने अच्छए लोग मुझे मिले !
अभी तो मेरे सपने की सिर्फ शुरुवात हुई है और मैं अपने इस सपने को किसी भी हाल में पूरा कर के रहूँगा एक इन्देपेंदेंट और सुच्सस जौर्नालिस्ट बन के ही रहूँगा.....



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