Sunday, June 23, 2013

रांझाना में है एक नयापण..

बनारस के घाट और बनरस गलियों के साथ ए आर रहमान की मृन्दंग संगीत फिल्म में  पहले ही  जान डाल देती है. कुंदन (धनुष ) एक तमिल पंडित परिवार का बेटा पहली ही नज़र में एक मुस्लिम परिवार की लड़की जोया (सोनम कपूर) से सत्रा तप्पर खाने के बाद उसके  इश्क में डूब जाता है,ये बचपन का प्यार परवान चढ़े ,उससे पहले जोया को बनरस के गलियों से दूर कर दिया जाता है.कुछ सालो बाद जब कुंदन का प्यार यानि जोया वापस बनारस आती है, तब बहुत कुछ बदल चूका होता है,बचपन की जोया बड़ी हो गई होती है पर इस बात से कुंदन अंजान रहता है की उसकी जोया अब उसकी नहीं किसी और की है, पर कहता है न "ये इश्क नहीं आशान एक प्यार का दरिया है बस डूब ही जाना है" हालात कुछ ऐसे हो जाते है की न कुंदन को उसकी जोया मिल पाती है और न ही जोया को उसका प्यार..
कब कुंदन बनारस की गलियों को छोड़ दिल्ली के राजनीती दलदल और एक प्रेमी अपना पश्यताप करते  करते अपनी सांस गवा बैठता है ये देखने लाइक होती है..
फिल्म के डायलॉग और एक बेहतरीन लव स्टोरी के साथ मस्त कॉमेडी तरका भी लगाया गया है जो  आपको हसने के लिये मजबुर कर देता है,एक नयापन आपको इस मिलेगी आपको इस फिल्म में ,कुछ ऐसी ही है निर्देशक आनंद की रांझाना है,संगीत धमाल और कहानी में नयापन...धनुष,सोनम कपूर और अभय देओल ने ने फिल्म में एक अच्छे किरदार और अच्छी मेहनत की है. ए आर रहमान के संगीत ने फिल्म में और भी जान डाल दिया  है ..         

No comments:

Post a Comment