Sunday, February 22, 2015

कलमकार के 'युवा कविता महोत्सव' में छाईं रही महिलाएं


अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता के सफल आयोजन के बाद कलमकार फांउडेशन के तत्वावधान में साहित्य अकादमी में ' युवा कविता महोत्सव' के तहत 'कविता अभी,बिल्कुल अभी' का आयोजन का सफल हुआ. जिस में लगभग दर्जन भर कवि- कवयित्रियों ने शिरकत की. आयोजन का विषय प्रर्वतन करते हुए कथाकार संजय कुंदन ने हिंदी को प्रतिरोध की भाषा बताते हुए कहा कि हिंदी की कविताएं पूलतः राजनीति केंद्रित हैं,पर महोत्सव ,जिसमें महिला कवयित्रियों का बोलबाला था , ने     प्रेम,परिवार,समाज,संबंध,दु:ख,अनुभव,प्रकृति केंद्रित कविताओं का पाठ कर यह जता दिया कि कविता के स्तर पर हिंदी सियासत से आगे बढ़ गई है. जिस में रसोई चिंतन व आव्जर्वेशन भी शामिल है.महोत्सव की शुरुआत अर्चना राजहंस मधुर की कविताओं से हुई जिसे राश्मि भारद्वाज,रेणु मिश्रा,सुजाता शिवेन,रमेश प्रजापति,आकांक्षा पारे काशिव,सुधा उपाध्याय,लंदन से आई शिखा वार्ष्णय,मुकेश कुमार व पवन करण ने अपनी अपनी कविताओं से अंजाम तक पहुंचाया. महोत्सव में अतिथि के रूप में पहुंचे तेजेंदर सिंह लूथरा ने हिंदी कविता के प्रतिरोध की कविता मानने से मना कर दिया.'जिस के समर्थन में उन्होंने अपनी कुछ कविताएं भी सुनाई. श्रोताओं के विशेष आग्रह पर संजय कुंदन ने भी अपनी कविताएं पढ़ी. महोत्सव का संचालन चरचित आलोचक व कलमकार से जुड़े अनंत विजय ने किया वही फाउंडेशन के अध्यक्ष संजीव पालेवाल ने युवा कविता महोत्सव में आमंत्रित कवियों की पढ़ी गई रचनाओं का एक संकलन प्रकाशित करने की भी बात कहीं. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात कथाकार डॉ भगवान दास मोरवाल ने की इस अवसर पर एनजीओ कल्चरल पर लिखें गए उनके उपन्यास 'नरक मसीहा'का लोकार्पण भी हुआ. कलमकार....एक समूह ऐसे लोगों का जो मानते हैं कि शब्द ही अभिव्यक्ति का आवरण हैं. कलमकार एक गैर सरकारी और गैर मुनाफा संगठन है जो भारतीय भाषाओं के प्रचार और प्रसार के लिए प्रयत्नरत् है. इसके लिए कलमकार सेमिनार, विचार मंथन कार्यक्रम, संगोष्ठियां आदि का आयोजन करता है. कलमकार मानता है कि आने वाले वर्ष हिंदी के वर्ष होंगे और वो समय दूर नहीं जब हिंदी विश्व भाषा के रूप में न सिर्फ स्थापित होगी बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनाई भी जाएगी. यूं भी भारत के गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों में शिक्षा की बहु भाषा प्रणाली चलन में है और वहां हिंदी का प्रयोग सेतु भाषा, यानी दो क्षेत्रीय भाषाओं के बीच संपर्क स्थापित करने वाली भाषा के तौर पर हो रहा है.


 
 
 
 
 

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