अक्सर ऐसा होता है
जब भी किसी ने सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाया है,
उसने सिने पे गोली खाया है,
खड़े हुए उसके खिलाफ कितने,
उसे शालखो के पीछे डाला है,
हे भारतवासी अब तो जाग जाओ,
या तुमने मान लिया है किया ये भ्रष्टाचारो का जमाना है
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हाथ में तिरंगा लेने से कोई ना बनता ईमानदार
वो तो एक ऐसी चीज़ है,
जो आती है सूरज के किरणों के साथ और
जाती भी है सूरज के किरणों के साथ....
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ओ मेरे देश के युवाओ,
अब तो आवाज़ उठओ,
एक अकेला थक जायेगा,
उनका साथ निभाओ,
भ्रष्टाचार से आज़ाद कराओ,
भारत को फिर से स्वतंत्र बनाओ..
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आवाम जाग चुकी है
सरकार के खिलाफ आवाज़ उठा चुकी है
अब नई चलेगी भ्रष्टाचारो की मनमानी,
इसे हटाने की कसम आवाम ने खा चुकी है
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लोकपाल को अब करेंगे हम जनलोकपाल
सरकार ये बात जान चुकी है
फिर भी कर रही है अपनी मनमानी
लगता है ये नहीं जानते
अब मिल गए हमे
२१वी सदी के कूल गाँधी
जो नहीं चलने देंगे इन काले अंग्रेजो
की मनमानी ......
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