पोलिटिकल मैनेजमेंट में अपना नाम कमाने वाले और बिहार को लाइटेंन की रौशनी तक ही रखने वाले ,चौरंगा पाठशाला के टोप्पर रह चुके और तीर की वार से हारे हुए लालू जी रह-रह कर नितीश सरकार पे वार कर रहे है, पर अफ़सोस सफल नई हो पा रहे | १५ सालो तक बिहार में राज कर चुके लालू जी फिर से अपना राजगद्दी चाहते है,अब चाहे भी क्यूँ नहीं हर जगह से उन्हें हार जो मिल रही है पहले रेल मंत्रालय छोडना परा और अभी हाल ही में उन्हें संसद के स्टैंडडींग कमिटी से हटाने की बात की जा रही है|
लालू जी का कहना है की नीतीश कुमार भाजपा की गोद में बैठे है और बिहार को गुजरात की तरह बनाना चाहते है, बिहार में हुए फोर्बेस्गंज फाईरिंग को गुजरात के दंगे का नाम देते हुए लालू ने कहा की वो वही कांड बिहार में दोहराना चाहते है| अब लालू जी की नजरिया ही गुजरात के प्रति अलग ही है, पर जनता की तो नहीं,आज सब जानते है बिहार कहा से कहा पहुँच गया कच्ची सड़क अब पक्की बन गई,लाइटेंन की रौशनी ट्युब लाइट में बदल गई,शिक्षा आगई पर लालू जी को कहा ये सब दिखा, विपक्ष जो रह गए वो | लालू खुद ही भूल गए की एक समय था जब वो कांग्रेस के गोद में बैठा करते थे पर उनकी चाल चलन से उन्हें कांग्रेस ने गोद से गिरा दिया | बिहार के लोगो को नितीश कुमार के खिलाफ भड्खाने वाले लालू को पता ही नई की वो आज की जनता से बात का रहे है वो समय गया जब जात-पात को लेकर जनता आपस में लड़ा करती थी, लालू जी को शायद ये नहीं पता की अब पोलिटिक्स का मैनेजमेंट कुछ अलग ही हो गया है|
एक लाइटेंन की रोशिनी कभी भी लौ नहीं बन सकता और ना ही वो कभी तीर को अपना निशाना बना सकती है,लालू जी की भलाई तो इसी में की वो अब आराम से राबड़ी के साथ लाइटेंन लाइट डीनर करे और खुश रहे क्या पता कही तीर का निशाना वो ना बन जाए और फिर उनके लिए कल हो ना हो... .....
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