Sunday, February 5, 2012

ज़रा सोचे ... ???

दुनिया बदल रही है,नए आविष्कार हो रहे है,लोगो के सोच और नजरिया दोनों ही  बदल रहे  है ,अपने सोच को लोगो के सामने लाने के लिए लोग  तरह तरह के सोशल नेट्वोर्किंग साईट की मदद ले रहे है जैसे सबसे पहला फेसबूक,फिर ऑरकुट ,गूगल प्लस और न जाने क्या क्या ...
अपने सोच और विचारो को दुनिया के सामने रखने का  इससे अच्छा जरिया  तो शायेद ही अभी तक आया हो..
ऐसे कई लोगो को हमने देखा है जो बिना मतलब के बातो को अपना स्टेटस बना लेते है और तो और उनमे से कई लोग ऐसे भी होते है जो उस स्टेटस को लाइक करके उससे बढ़ाते है। ये नहीं सोचते की ये एक बेवकूफी
 से ज्यादा और कुछ भी नहीं  है, अगर कोई अपने स्टेटस पे ये लिखता है की "i am suffering from cough and cold" तो कुछ उनमे में से ऐसे होंगे जो उसे लाइक कर देंगे जो एक तरह से उस बात पे सहमति जाताना हुआ न की दुःख जाताना। जहा तक मुझे पता है लाइक का मतलब पसंद आना होता है।अब कोई भाई या दोस्त की तब्यत ख़राब है तो भला हमेयह बात कैसे पसंद आ सकती है ,ये तो थोड़ी दुःख की बात हुई न ..
कई बार तो मैंने ये भी देखा है की अगर कोई व्यक्ति किसी  पोलिट्कल बात या फिर महज़ब की बात को अपने स्टेटस के तौर पे लिखता है तो समझो की जैसे उसके वाल पे  जंग सी छिड़ जाती है वह किसी युद्ध के मैदान से कम नहीं होता अगर लोगो का बस चले तो वह  वहा  खून खराबा कर दे ...और कोई लोग उनमे से ऐसे होंगे जो इस बात को शेयर कर के या तो उसका मजाक उड़येंगे या फिर उस बात को और आगे तक खीच देंगे कोई ये नहीं सोचेगा की इस मुद्दे को बढाना से कही किसी को दुःख न हो ।
लोग ये नहीं सोच पाते की ये सोशल नेट्वोर्किंग साईट हमे एक दुसरे को जोड़ने का काम करती  है ना कि अलग होने का कई बार तो येः भी देखा गया है की  सोशल नेट्वोर्किंग साईट पर छोटे छोटे बातो को लेकर कई बार रियल लाइफ में लोगो आपस में लड़ चुके है और इन सब का फयदा कोई और हे उठाया बताओ भला येः भी कोई बात हुई..
इन  बातो पे ज़रा सोचे...



 

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